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________________ ६१ अप तथा वनस्पति में दूसरा देवलोक ईशान ना देव ऊपजै तेहनों यंत्र (२६) गमा २० द्वार नी संख्या उपपात द्वार संघयण द्वार अवगाहना द्वार संठाण द्वार लेश्या द्वार | दृष्टिद्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार | उपयोगमा परिमाण द्वार जपन्य उत्कृष्ट जघन्य । उत्कृष्ट उत्कृष्ट १ १.२३ असंघयणी ७ हाथ ३नियमा ।।३नियमा ओधिक न ओधिक| १४७ गमै जिण जिण काय ओधिक जघन्य मैं ऊपजै तिण जघन्य ओधिक नै उत्कृष्ट उत्कृष्ट आयु में ऊपजै। संखया असंख ऊपजी १ तेज आंगुलनों असंख भाग समचौरंस १२३ असंघयणी ७हाथ १ तेजु नियमा नियना। जघन्य + ओधिक २.५८ गमै जिण जिण काय जघन्य जपन्चमैपजे तिण रैजघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट आयु में ऊपजे। संखया असंखऊप आंगुलनों असंख भाग उपत समचौरंस असंधवणी ३नियमा । ३ नियमा | उत्कृष्ट न ओधिक ३.६६ गमै जिन जिण उत्कृष्ट नै जघन्य | काय में अपने तिणरै उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट उत्कृष्ट आयु में ऊपजै। आंगुलनों असंख माग ३ १२.३ ऊप असंख ऊप समचौरंस ३ विकलेंदी में १२ ठिकाणां ना ऊपजै - पांच स्थावर ५. तीन विकलेंद्रिय, अरान्नी तिथंच पदिय ६, संख्याता वर्ष ना सन्नी तिर्यच १०, संख्याता वर्ष नां सन्नी मनुष्य ११, असन्नी मनुष्य १२ । ६२ तीन विकलेंद्रिय में पृथ्वीकाय ऊपजै तेहनों यंत्र (). गमा २० द्वार नी संख्या उपपातद्वार परिमाण द्वार संघयणद्वार अवगाहना द्वार संठाण द्वार | लेश्या द्वार दृष्टिद्वार দ্বান—সান ব্রা योगद्वार जघन्य जघन्य जघन्य उत्कृष्ट १२३ संखया असंख १छेवटो मसूर चंद्र ४पहली आंगुल नों असंख भाग | ओधिक न ओधिक १४.७ गर्भ जिण जिण ठिकाणे ओधिक जपच ऊपरी तिन रै जघन्य उत्कृष्ट ओधिक उत्कृष्ट आयु में ऊपजै। २ निषमा | काया १ठेवटो ___ मसूर चंद्र ३पहली मिथ्या २नियगा १काया जघन्यन ओधिक २५ गगै जिण जिन ठिकाणे जघन्य नै जघन्य रुप तिण रै जघन्य आयु जघन्य नै उत्कृष्ट में ऊपजै। संखया असंख ऊपने आंगुल नों असंख भाग गखया १वटो मसूर चंद्र ४पहली १मिथ्या उत्कृष्ट नै ओधिक | ३.६.६गमै जिण जिण उत्कृष्ट नै जान्य | विकाण ऊपजै तिण रै उत्कृष्ट उत्कृष्ट उत्कृष्ट आयु में ऊपजै। आमुल नों असंख भाग २नियमा | १काया १२.३ ऊपजे २६८. भगवती-जोड (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003622
Book TitleBhagavati Jod 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages360
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size18 MB
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