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________________ २६६ ५६ अप तथा वनस्पति में ज्योतिषी ऊपजै तेहनों यन्त्र (२४) गमा २० द्वार नी संख्या १ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ६ २ ४ गमा २० द्वार नी संख्या ५ ६ ओधिक नैं ओधिक अधिक ने जघन्य ओधिक नै उत्कृष्ट ८ जधन्य नै ओधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट ६ उत्कृष्ट नै ओधिक उत्कृष्ट नै जघन्य उत्कृष्ट में उत्कृष्ट ओधिक नै ओधिक ओधिक नै जघन्य ओधिक मैं उत्कृष्ट जघन्य नै ओधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य मैं उत्कृष्ट उत्कृष्ट मैं ओधिक उत्कृष्ट नै जघन्य उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट उपपात द्वार जघन्य १४. ७ गर्मी जिन जिण काय मैं ऊपजै तिन रै जघन्य उत्कृष्ट आयु में ऊपजै । Jain Education International उत्कृष्ट २.५० गर्ने जिन जिण काय में ऊपजे तिण रै जघन्य आयु में ऊपजै ३.६६ गर्ने जिन जिन काय में ऊपजे तिण र उत्कृष्ट आयु में ऊपजै । भगवती जोड (खण्ड-६) उपपात द्वार जघन्य उत्कृष्ट १४.७ गर्म जिन जिन काय मैं ऊपजे तिण रे जघन्य उत्कृष्ट आयु में ऊपजै । २.५८ गमै जिन जिन काय मैं ऊपजे तिण रे जघन्य आयु में ऊपजै । ३.६.६ गमे जिन जिन काय में ऊपजे तिण रै उत्कृष्ट आयु में ऊपजै । परिमाण द्वार जघन्य १,२,३ ऊपजै ૧૨૩ ऊपजै ६० अप तथा वनस्पति में प्रथम देवलोक सौधर्म नां देव ऊपजै तेहनों यंत्र (२५) १२.३ ऊपजै जघन्य १२.३ ऊपजै उत्कृष्ट १.२.३ रूपजे संख या असंख ऊपजै २ परिमाण द्वार १२.३ ऊपजै संख या असंख ऊपजै संखया असंख ऊपजै उत्कृष्ट संखया असंख ऊपजै संखया असंख ऊपजै ३ संघयण द्वार ६ संख या असंख ऊपजै असंघयणी असंपवणी असंघयणी संघयण द्वार ६ असंघयणी असंघवणी ४ अवगाहना द्वार असंघयणी जघन्य आंगुल न असंख भाग आंगुल न असंख आंगुल न असंख भाग आंगुलनों असंख भाग आंगुलनों असंख भाग उत्कृष्ट ७ हाथ अवगाहना द्वार आंगुलन असंख भाग ७ हाथ ७ हाथ ਜ਼ਦ ७ हाथ ७ हाथ ५ संठाण द्वार ६ 9 समचौरंस समचौरंस समचौरंस ५. संठान द्वार ६ 9 समचौरंग समचौरंस For Private & Personal Use Only समधीरंस ६ लेश्या द्वार ६ १ तेजु १ तेजु १. तेजु लेश्या द्वार ६ १ तेजु १ तेजु १ तेजु दृष्टि द्वार ३ ३ ७ दृष्टि द्वार ३ ३ मिथ्या ३ मिथ्या मिथ्या ज्ञान-अज्ञान द्वार ५ नियमा ३ नियमा नियमा ५ ३ नियमा ३ नियमा 3 ज्ञान-अज्ञान द्वार ३ नियमा ३ नियमा 3 नियमा 3 नियमा ३ ३ नियमा ३ नियमा ३ नियमा योग द्वार 3 3 3 3 ६ योग द्वार ३ ३ 3 ३ उपयोग ~~ २ उपयो २ २ www.jainelibrary.org
SR No.003622
Book TitleBhagavati Jod 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages360
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size18 MB
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