SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 236
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७ असुर कुमार में तिर्यंच युगलियो ऊपजै तेहनों यंत्र (२) गमा २० द्वार नी संख्या संघयण द्वार संठाण द्वार | लेश्या द्वार | दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार परिमाण द्वार उत्कृष्ट उपपात द्वार जघन्य उत्कृष्ट अवगाहना द्वार जघन्य १२.३ समधोरंस १ २ ओधिक नै ओधिक ओधिक नै जघन्य १० हजार वर्ष १० हजार वर्ष ३पल्य % हजार वर्ष संख्याता ऊपज ऊपजै १वज ऋषभ नाराच पृथक धनुष्य ६ गाउ ४ पहली १मिथ्या २नियमा ३ ओधिक नै उत्कृष्ट ३ पल्य ३पल्य ६ गाउ सभोरंस ४पहली रनियगा । १२.३ ऊपजै संख्याता ऊपजै पृथक घनुष्य ऋषम नाराथ। ४ १२.३ १वज पृथक समघोरस ५मिथ्या जघन्य नै ओधिक जघन्य जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट १० हजार वर्ष १० हजार वर्ष कोड पूर्व जाझो कोड पूर्व जाझौ हजार वर्ष कोड पूर्व जामो संख्याता ऊपजै हजार योजन ऋषभ नाराय ४ पहली र नियमा | ३ र समचोरंस उत्कृष्ट नै ओधिक १० हजार वर्ष उत्कृष्ट नै जघन्य |१० हजार वर्ष उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट ३ पल्य ३पल्य १० हजार वर्ष ३पल्य १२.३ ऊपजे संख्याता ऊपजे १वज ऋषभ नाराब पृथक घनुष्य गार ४पहली १गिथ्या २नियमा ६ १८ असुरकुमार में संख्याता वर्ष नां सन्नी तिर्यंच ऊपजै तेहनो यंत्र (३) गमा २०द्वार नी संख्या उपपात द्वार संघयण द्वार | संताप द्वार | लाया द्वार । दृष्टिद्वार। ज्ञात-अज्ञान द्वार संठाण द्वार लेश्या द्वार दृष्टिद्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योगद्वार परिमाण द्वार जघन्य उत्कृष्ट उपयोगा अवगाहनाद्वार जधन्य उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट १ ओधिक ने ओधिक १० हजार वर्ष सागर जाडो ओधिक नै जघन्य १० हजार वर्ष १० हजार वर्ष ओधिक नै उत्कृष्ट १सागर जाझो|१सागर जाझो १२.३ ऊपजै संख या असंख ऊपजे अंगुलनों असंख हजार योजन ३ भजना भजना ३ भाग ४ जघन्य नै ओधिक १० हजार वर्ष | १सागर जाझो जघन्य नै जघन्य १० हजार वर्ष | १० हजार वर्ष जघन्य नै उत्कृष्ट १सागरजाझो १सागर जाझो १२.३ ऊपजे पृथक संखया असंख ऊपजै अंगुलनों असंख धनुष्य पहली मिथ्या नियमा ६ भाग हजार | उत्कृष्ट नै औधिक १० हजार वर्ष १सागर जाझो उत्कृष्ट नै जघन्य 1१० हजार वर्ष हजार वर्ष | उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट | १सागर जामो |१सागर जाझो १२३ ऊपजै सखया असंख ऊपजै अंगुलनों अगस भाग भजना १६ असुरकुमार में मनुष्य युगलियो ऊपजै तेहनो यंत्र (४) गमा ०द्वारनी संख्या उपपातद्वार सघयण द्वार संठाण द्वार | लेश्या द्वार दृष्टि द्वार योग द्वार | उपयोग परिमाण द्वार जघन्य उत्कृष्ट अवगाहना द्वार जघन्य उत्कृष्ट जघन्य ३गाउ १ २ ओधिक ओपिक ओधिक नैं जघन्य हजार वर्ष १० हजार वर्ष संख्याता ऊपजै + हजार वर्ष ऊपज सपनुष्य जाझी समचौरस पहली ऋषभ नाराथ मिथ्या नियमा ३ ओधिक नै उत्कृष्ट | पल्य "३पल्य |संख्याता ३ गाउ ३गाउ १ ऊपज १वज ऋषभ नाराब समचौरंस पहली ॐ |जघन्य नै ओधिक | जघन्य नै जघन्य | जघन्य नै उत्कृष्ट | १० हजार वर्ष १० हजार वर्ष १कोडपूर्व जाझो १कोडपूर्व जामो १० हजार वर्ष १कोडपूर्व जाझो १२.३ ऊपजै संख्याता ऊपजै ५ सौ धनुष्य जाझी ५मो धनुष्य जाझी २ नियमा समयौरस पहली गिथ्या नाराय | ३ गाउ ३गार उत्कृष्ट नै ओधिक | उत्कृष्ट जघन्य | ਦ ਜੈ ਹੋ हजार वर्ष १० हजार वर्ष ३पल्य ३पल्य हजार वर्ष ३पल्य १.२.३ रूपजै संख्याता ऊपजै अपम समचौरंस पहली मिथ्या नियमा नाराय २२२ भगवती-जोड़ (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003622
Book TitleBhagavati Jod 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages360
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy