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________________ साती नरक तमतमा में २ ठिकाणां ना ऊपजे-संख्याता वर्ष नां सन्नी तिर्यच १, संख्याता वर्ष ना सन्नी मनुष्य । १४ सातमी नरक में संख्याता वर्ष नां सन्नी तिर्यंच ऊपजै तेहनों यंत्र (१) गमा २० द्वार नी संख्या उपपात द्वार परिमाण द्वार | संघयण द्वार अवगाहना द्वार | संठाण द्वार | लेश्या द्वार | दृष्टिद्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार उपयोगटार जघन्य उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट जपन्य उत्कृष्ट १ १बज ओधिक नै ओधिक | २२ सागर ओधिकन जघन्य २२सागर | ओधिक नै उत्कृष्ट ३सागर ३३ सागर २२ सागर ३३ सागर १२.३ ऊपजै संख्याता या असंख्याता ऊपजे अंगुलनों असंख भाग हजार योजन भजना শনা नाराय xx | जघन्य में ओधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट २२ खगर २२सागर ३३ सागर ३३ सागर २२ सागर ३३ सागर १२.३ ऊपजे संख्याताया असख्याता अंगुलनों असंख भाग पहली क्र. भ नाराच मिथ्या नियमा उपज १२.३ उत्कृष्ट नै ओधिक | २२ सागर | उत्कृष्ट नै जघन्य | २२ सागर उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट ३३ सागर ३३सागर २२सागर ३३ सागर संख्याताया असंख्याता ऊपजै ऊपजे हजार योजन अंगुलनों असंख भाग भजना ३ भजना ऋषम नाराच १५ सातमी नरक में संख्याता वर्ष नां सन्नी मनुष्य ऊपजै तेहनों यंत्र (२) गमा २० द्वार नी संख्या संघयण द्वार संठाण द्वार | लेश्या द्वार दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार उपयोगगर उपपात द्वार जघन्य उत्कृष्ट परिमाण द्वार जधन्य उत्कृष्ट अवगाहनाद्वार जघन्य उत्कृष्ट १.२.३ संख्याता पृथक १ २ ३ ओधिक नै ओधिक ओधिक नैं जघन्य ओधिक नै उत्कृष्ट २२ सागर २२ सागर ३३ सागर ३३ सागर २२ सागर ३३ सागर वज वम नाराय। ५सी धनुष्य हाथ भजना ३ ४ जघन्य नै ओधिक जघन्य नै जघन्य ६ जघन्य नै उत्कृष्ट | २२सागर २२ सागर ३३ सागर २२ सागर ३३ सागर १२.३ ऊपजे संख्याता ऊपजे वज ऋषभनाराय पृथक हाथ हाथ भजना संख्याता उत्कृष्ट नै ओधिक | २२सागर ८ उत्कृष्ट नै जघन्य | २२ सागर ६ उत्कृष्ट नैं उत्कृष्ट ३३ सागर ३३सागर २२ सागर ३३सागर १२.३ ऊप वज | ५सौ अपम नाराथ | धनुष्य धनुष्य भजना असुरकुमार में ५ ठिकाणां नां ऊपजै- असन्नी तियच पंचेंद्री १, तिर्यच युगलियो २. संख्याता वर्ष ना सन्नी तिर्यंच पं.द्री ३. मनुष्य युगलियो ४, संख्याता वर्ष नां सत्री मनुष्य ५। १६ असुरकुमार में असन्नी तिर्यंच पंचेन्द्रिय ऊपजै तेहनों यंत्र (१) गमा २० द्वार नी संख्या अवगाहना द्वार संठाण द्वार लेश्या द्वार दृष्टिद्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार उपपात द्वार उत्कृष्ट परिमाण द्वारसघयणद्वार जघन्य उत्कृष्ट ६ जपन्य जघन्य उत्कृष्ट १ १२३ १ २वध ओधिक नै ओधिक ओधिक नैं जघन्य ओधिक नै उत्कृष्ट हजार वर्ष | पल्यनै असंख्य भाग |% हजार वर्ष १० हजार वर्ष | पल्य नै असंख भाग पत्य नै अंसख भाग संख्याता या असंख्याता अंगुलनों अंसख भाग १हजार योजन वटो पहली मिथ्या जधन्ध नै ओधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट 1% हजार वर्ष पत्य नै असंख्य भाग हजार वर्ष १० हजार वर्ष पल्यनै असंख भाग | पत्य नै अंसख भाग ૧૨૩ ऊपजै संख्याता या असंख्याता रूप छेवटी अंगुलनों अंसख १हजार योजन गिथ्या २ नियमा २वद काय ७ उत्कृष्ट नै ओधिक उत्कृष्ट नै जघन्य १ उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट हजार वर्ष पल्य नै असंख भाग हजार वर्ष १० हजार वर्ष पल्य नै असंखभाग | पल्य नै असंख भाग १२.३ ऊपजै संख्याता १ या असंख्याता| ऐबटो अंगुलनों अंसख १हजार योजन पहली २वब काय गिध्या निधमा ऊपजै २२० भगवती-जोड (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003622
Book TitleBhagavati Jod 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages360
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size18 MB
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