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________________ २१६ चौथी नरक पंकप्रभा में २ ठिकाणां नां ऊपजै-संख्याता वर्ष नां सन्नी तियंच पंचेंदी १, संख्याता वर्ष नां सन्नी मनुष्य २ । चौथी नरक में संख्याता वर्ष नां सन्नी तिर्यंच पंचेन्द्रिय ऊपजै तेहनों यंत्र (१) ८ गमा २० द्वार नौ संख्या و २ ३ ४ ५ ६ 19 ८ $ 4 २ 3 ५ ६ 19 ६ ओधिक नै ओधिक गमा २० द्वार नौ संख्या ओधिक नै जघन्य ओधिक नै उत्कृष्ट जघन्य में ओधिक जघन्य नै जघन्य २ 3 ६ 19 सागर ७ सागर उत्कृष्ट ने उत्कृष्ट १० सागर उत्कृष्ट नै ओधिक ७ सागर उत्कृष्ट नै जधन्य ७ सागर उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट १० सागर जघन्य १७ सागर जघन्य नैं ओधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट ७] सागर १० सागर गमा २० द्वार भी संख्या ओधिक नै ओधिक ७ सागर ओधिक मैं जघन्य ७ सागर ओधिक मैं उत्कृष्ट १० सागर जघन्य नै ओधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट नै ओधिक ७ सागर उत्कृष्ट नै जघन्य ७ सागर उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट १० सागर ७ सागर ७ सागर १०- सागर ६ चौथी नरक में संख्याता वर्ष नां सन्नी मनुष्य ऊपजै तेहनों यंत्र (२) १ उपपात द्वार उत्कृष्ट ओधिक नै ओधिक १० सागर १० सागर ओधिक नै उत्कृष्ट १० सागर अधिक मैं जघन्य जघन्य Jain Education International १० सागर १० सागर १७ सागर १ उपपात द्वार 19 उत्कृष्ट नै ओधिक १० सागर ६ उत्कृष्ट नै जघन्य १० सागर ६ उत्कृष्ट में उत्कृष्ट १७ सागर उत्कृष्ट भगवती-जोड़ (खण्ड-६). १० सागर ७ सागर १० सामर १० सागर ७] सागर १० सागर १० सागर ७ सागर १० सागर उपपात द्वार १० सागर 1७ सागर १० सागर १० सागर ७ सागर १० सागर १० सागर ७ सागर १० सागर उत्कृष्ट १७ सागर १० सागर ५७ सागर २ परिमाण द्वार जघन्य 949 सागर १० सागर 1949 सागर १२.३. ऊपजै १७ सागर १० सागर १७ सागर १.२.३. ऊपजै १२.३. ऊपजै परिमाण द्वार जघन्य १२.३ ऊपजै १२.३ ऊपजै १२.३ ऊपजै जघन्य उत्कृष्ट संख्याता था असंख्याता ऊपजै १.२.३ ऊपजै संख्याता या असंख्याता ऊपजै १२. ३ ऊपजै संख्याता या असंख्याता ऊपजै १२.३ ऊपजै उत्कृष्ट संख्याता ऊपजै परिमाण द्वार संख्याता ऊपजै संख्याता ऊपजै पांचमी नरक धूमप्रभा में २ ठिकाणां नां ऊपजै-संख्याता वर्ष नां सन्नी तियंच पंचेंदी १, संख्याता वर्ष नां सन्नी मनुष्य २ । १० पाचर्मी नरक में संख्याता वर्ष नां सन्नी तिर्यंच पंचेन्द्रिय ऊपजै तेहनों यंत्र (१) उत्कृष्ट संख्याता या असंख्याता ऊपजै ३ संघयण द्वार ६ संख्याता या असंख्याता ऊपजै ४ पहला संख्याता या असंख्याता ऊपजै ४ पहला ४] पहला संघयण द्वार ཀ पहला ४ पहला ४ पहला संघयण द्वार ६ ३] पहला 3 ३ अवगाहना द्वार उत्कृष्ट जघन्य अंगुल न असख्य भाग अंगुल न असंख्य भाग अंगुल न असंख्य भाग जघन्य पृथक् हाथ पृथक् हाथ ५. सी धनुष्य अवगाहना द्वार उत्कृष्ट जघन्य अंगुल न असंख्य भाग १ हजार योजन अंगुल न असंख्य भाग पृथक धनुष्य १. हज़ार योजन अंगुल न असंख्य भाग ५.सी धनुष्य ४ अवगाहना द्वार उत्कृष्ट पृथक् हाथ ५. सौ धनुष्य हजार योजन पृथक् धनुष्य हजार योजन ५. संठाण द्वार ६ ५. संठाण द्वार ६ ६ ܩ ६ ५ सठाण द्वार ६ ६ ६. ६ For Private & Personal Use Only लेश्या द्वार ६. ६ ३. पहली लेश्या द्वार ६ लेश्या द्वार ६ ६ पहली in ७ दृष्टिद्वार ३ मिथ्या ३ ७ दृष्टि द्वार ३ 3 19 दृष्टि द्वार ३ 3 १. मिथ्या 3 ज्ञान-अज्ञान द्वार ५ ३ भजना ३ भजना ५. - * ज्ञान-अज्ञान द्वार ३ भजना ४ भजना ४ भजना ५ भजना ३ 드 भजना ३ भजना २ नियमा ३ भजना भजना ज्ञान-अज्ञान द्वार ३ भजना ३ भजना ३ ३ भजना २ नियमा भजना योग द्वार ३ ३ ३ ३ योग द्वार 3 ३ An योग द्वार 3 ३ ३ ३. उपयोग द्वा २ २ २ उपयोग द्व २ उपयोग द्वार २ २ www.jainelibrary.org
SR No.003622
Book TitleBhagavati Jod 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages360
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size18 MB
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