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ताय,
संवेध
उत्कृष्टा कहिवाय, अठ भव
१४. इहां नवं गम
१५. शेष संघयण संठाण, प्रमुख पृथ्वी पृथ्वी में जाण, ऊपजता
द्वार विषे बली। ग्रहणज आखिये || बोल अनुबंध नँ तिम
लग । वहां ॥
।
१६. * संवेधे काल आधवी हो, पृथ्वीकायिक जेह आश्रयी वलि सन्नी पंचेंद्रिय तिर्यंच नैं हो, कहिवूं स्व स्थिति करेह ॥
सोरठा
१७. प्रथम गमे संवेह, बे भव अद्धा जघन्य थी । अंतर्मुहूर्त्त बेह, इक महि बीजो पं. तिरि ॥
अद्धा अष्ट
१८. उत्कृष्ट अवधार, भवां वर्ष अठासी हजार पूर्व कोज व्यार
१९. बीजे गमे संदेह, वे भव अद्धा जघन्य अंतर्मुहूर्त बेह, पृथ्वी पं. तिरि जघन्य २०. उत्कृष्ट अवधार, अद्धा अष्ट भवां
वर्ष अठपासी हजार, अंतर्मुहूर्त प्यार फुन । २१. तीजे गमे संवेह, बे भव अद्धा जघन्य थी । अंतर्मुहूर्त जेह, कोड़ पूर्व तिरि जेष्ठ स्थिति ॥ २२. उत्कृष्टो अवधार, अद्धा अष्ट भवां तणों । वर्ष अठघासी हजार पूर्व कोड़ज प्यार फुन । २३. उये गमे संदेह मे भव अद्धा जघन्य थी । अंतर्मुहूर्त बेह, पृथ्वी पं. तिरि जयन्य स्थिति ॥ २४. उत्कृष्टो अवधार, अद्धा अष्ट भवां तणों । अंतर्मुहूर्त च्यार, प्यार पूर्व कोड़ज चिउं तिरि ।। २५. पंचम गमे संवेह, वे भव अद्धा जघन्य थी । अंतर्मुहूर्त बेह जघन्य स्थिति बिहं भव २६. उत्कृष्ट काल प्रगट, अष्ट भवां नों इह अंतर्मुहूर्त अठ, चिउं भव पृथ्वी चिउं २७. षष्ठम गम संवेह, बे भव अद्धा जघन्य थी । अंतर्मुहूर्त जेह, कोड़ पूर्व तिरि जेष्ठ स्थिति ॥ २८. उत्कृष्ट अवधार, अद्धा अष्ट भवां तणों । अंतर्मुहूर्त प्यार पूर्व कोहज प्यार तिरि ॥
तथीं । विधे ।
तिरि ॥
* लय : राम को सुजश घणो
१३८ भगवती जोड
तणों ।
फुन ॥
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थी।
स्थिति ॥
तणों ।
२९. सप्तम गम संवेह, बे भव अद्धा जघन्य थी सहस्र बावीस वर्षे, अंतर्मुहूर्त अधिक फुन ।। ३०. उत्कृष्टो अवधार, अद्धा अष्ट भवां तणों । वर्ष अठचासी हजार, पूर्व कोज प्यार फुन । ३१. अष्टम गमे जगीस, बे भव अद्धा जघन्य थी । वर्ष सहस्र बावीस, बावीस अंतर्मुहूर्त अधिक फुन ।।
।।
१५. सेसं तं चैव ।
१६. कालादेसेणं उभओ ठितीए करेज्जा १-९ ।
( ० २४०२४७)
१७. प्रथमे गये 'कानादेसेणं जहने दो संतोत्ताई' ति पृथिवीत्पन्द्रियक बेति
(१० १० ८४०) १८. उत्कर्षतोऽष्टाशीतिर्वर्षसहस्राणि पृथिवी सत्का नि तश्व पूर्वकोदयः द्रका,
(बु०प०८४.)
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