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८२. द्वितीय गये काल आथवी, जघन्य धकी कहिवाय लाल रे । बावीस सागर नारकी अंतर्मुहूर्त्त अधिकाय लाल रे । ८४. उत्कृष्ट छासठ उदधि ही, नारक नां भव तीन लाल रे । त्रिण अंतर्मुहुर्त तिरि इतो काल गतागति चीन लाल रे ।।
८५. तृतीय गमा विषे जघन्य थी, बावीस सागर जोय लाल रे । पूर्व कोड़ज अधिक हो, बे भव अद्धा होय लाल रे । ८६. उत्कृष्ट छास उदधि ही, पूर्व कोड़ज तीन लाल रे । त्रिण भव नारक भव स्थिति,
८७.
तिरि भव तीन कथीन लाल रे ।। तुर्य गमा विषे जघन्य थी, वे भव अद्धा ताय लाल रे । बावीस सागर जाणवो अंतर्मुहुर्त अधिकाय लाल रे ।। ८८. उत्कृष्ट षट भव आश्रयी, छासठ सागर ताय लाल रे । पूर्व कोडज त्रिण बली, काल वांदो अधिकाय लाल रे ।। ८९. पंचम गमा विषे जघन्य थी, बावीस सागर जन्य लाल रे । अंतर्मुहतं अधिक ही, वे भव स्थिति जघन्य लाल रे ।। ९०. उत्कृष्ट अद्धा एतलो. षट भव नों इम चीन लाल रे । छासठ सागर जाणवो अंतर्मुहूर्त तीन लाल रे ।। ९१. छठा गमा विषे जघन्य थी, नारक उदधि बावीस लाल रे । पूर्व कोडज तिरि भवे, वे भव अद्धा जगीस लाज रे ॥
९२. उत्कृष्ट छासठ उदधि हो, पूर्व कोड त्रिण इष्ट लाल रे । त्रिण भव नारक जघन्य स्थिति, तिरि भव त्रिण उत्कृष्ट लाल रे ।। ९३. सप्तम गमके जघन्य थी, नारक उदधि तेतीस लाल रे । अंतर्मुहूर्त तिरि भवे बे भव काल जगीस लाल रे ॥ ९४. उत्कृष्ट उदधि ही फोड़ पूर्व वे होय लाल रे नारक नो भव से करें तिर्यच भव पिग दो लाल रे ।। ९५. अष्टम गमके जघन्य थी, नारक उदधि तेतीस लाल रे । अंतर्मुहुर्त तिरि भवे बे भव काल जगीस लाल रे ।। ९६. उत्कृष्ट खास उदधि ही अंतर्मुहूर्त वे जन्य लाल रे । जेष्ठायु बे भव नारकि तिरि भव दोय जघन्य लाल रे ॥ ९७. नवमे गमे जघन्य थी, तेतीस सागर इष्ट लाल रे । पूर्व कोज अधिक ही, बे भव स्थिति उत्कृष्ट लाल रे ॥ ९. उत्कृष्ट छासठ उदधि ही, कोड़ पूर्व वे इष्ट लाल रे । ९८. उत्कृष्ट बे भव नारकी, तिरि बे भव उत्कृष्ट लाल रे ।। १९. सेवं कालज एतलो करें गति आगति इतो काल लाल रे । उत्कृष्ट ने उत्कृष्ट गमो दाख्यो नवम दयाल लाल रे ।। १००. पडवीसम देश बीसमो, चिडं सौ पचीसमी ढाल लाल रे । भिक्षु भारीमात ऋषिराव थी,
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'जय - जश' मंगलमाल लाल रे ॥
*लय : मूंडी रे भूख अभावणी १३६ भगवती जोड़
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८३. कालादेशी व वितियगमएस जो बावीस सागरोपमाई अंतीमुत्तमम्भहियाई
८४. उक्को छाट्ठ सागरोवमाई तिहि अंतोमुहुतेहि अमहिया एवं काल सेवा एवतियं काल गतिरागति करेज्जा ।
५. बावीस सागरोपमाई पुचकोडीए अन्भहियाई,
८६. उक्कोसेणं छाट्ठ सागरोवमाई तिहि पुण्वकोडीहि हवाई
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८७. चउत्थगमए जहणेणं बावीसं सागरोवमाई अंतोमुत्तमनहिवाई
८८. उक्कोसेणं छाव सागरोवमाई तिहि पुञ्चकोडी हिं अम्महिवाई
८९. पंचमगमए जहणेणं बावीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमन्महिवाई
९०. सागरोनाई तिहि अंतोहि
अम्भहियाई ।
९१. गमजणं बावीस सागरीबमाई पुज्नकोडीह अमहियाई ।
९२. उस्को सागरोपमा तिहि पुनको अमहियाई ।
९३. सत्तमगमए जहणेणं तेत्तीस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमम्भहियाइ,
९४. उक्कोसेणं छा सागरोवमाइं दोहि पुव्वकोडीहि अब्भहिवाई |
९५. अद्रुमगमए जहणेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमन्महिपाई
९६. उसामा दोहि तोह अमहियाई ।
९७. नवमगमए जहण्णेणं तेत्तीसं सागरोवमाई पुग्वकोडीह माहिवाई,
९८. उक्कोमेणं छावट्ठि सागरोवमाई दोहि पुण्वकोडीह अन्भहियाई,
९९. एवतियं काल सेवेण्या एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १।९ । (१०२४।२४४)
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