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५. स्थिति अनें अनुबन्ध जे, जघन्य सहस्र दश वासो जी।
उत्कृष्टी देसूण जे, दोय पल्योपम तासो जी॥ ६. काल आश्रयी जघन्य था, प्रथम गमे संवेहो जी।
जघन्य सहस्र दश वर्ष नी, अंतर्महुर्त अधिकेहो जी ।। ७. उत्कृष्ट अद्धा एतलो, देश ऊण पल्य दोयो जी। ___ वर्ष सहस्र बावोस ही, अधिकेरी अवलोयो जी ।। ८. एवं एहनां नव गमा, असुर गमक सम भणवा जी।
णवरं स्थिति काल आश्रयी, उपयोगे करि थुणवा जी।।
६. कालादेसेणं जहण्णेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्त
मन्भहियाई, ७. उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिमोवमाइं बावीसाए
वाससहस्सेहिं अब्भहियाई । ८. एवं नव वि गमगा असुरकुमारगमगसरिसा, नवरंठिति कालादेसं च जाणेज्जा १-९ ।
दूहा
९. धुर त्रिहुं गम स्थिति नाग नीं, जघन्य सहस्र दश वास ।
उत्कृष्टी देसूण जे, बे पल्योपम तास ॥ १०. मझम तीन गमे स्थिति, जघन्य उत्कृष्ट कहाय ।
वर्ष सहस्र दश स्थितिक सुर, ऊपजै पृथ्वी माय ।। ११. छहले तीन गमे स्थिति, जघन्य अनै उत्कृष्ट । देसूण बे पल्य स्थितिक, ऊपजवो तसु इष्ट ।
सोरठा १२. कायसंवेध विख्यात, काल आश्रयी हिव तसु ।
कहियै छै अवदात, प्रथम गमो पूर्वे का। १३. द्वितीय गमे संवेह, बे भव अद्धा जघन्य थी।
वर्ष सहस्र दश जेह, अंतर्मुहूर्त अधिक फुन । १४. उत्कृष्टो अवलोय, अद्धा उभय भवा तणों।
देश ऊण पल्य दोय, अंतर्महत अधिक ही ।। १५. तृतोय गमे संवेह, जघन्य सहस्र बत्तीस वर्ष ।
नाग सहस्र दश लेह, वर्ष सहस्र बावीस महि ।। १६. उत्कृष्ट अद्धा जोय, ए पिण दोय भवां तणों ।
देश ऊण पल्य दोय, वर्ष सहस्र बावीस फुन ।। १७. चउथे गमे संवेह, बे भव अद्धा जघन्य थी।
वर्ष सहस्र दश जेह, अंतर्महत अधिक फुन ।। १८. उत्कृष्ट अद्धा तास, वर्ष सहस्र बत्तीस जे।
नाग सहस्र दश वास, वर्ष सहस्र बावीस महि ।। १९. पंचम गम संवेह, बे भव अद्धा जघन्योत्कृष्ट ।
वर्ष सहस्र दश लेह, अन्तर्मुहुर्त अधिक फुन । २०. षष्ठम जघन्योत्कृष्ट, वर्ष सहस्र बत्तीस जे।
नाग सहस्र दश इष्ट, वर्ष सहस्र बावीस महि ।। २१. सप्तम गमे सुजोय, बे भव अद्धा जघन्य थी।
देश ऊण पल्य दोय, अंतर्मुहूर्त अधिक फुन । २२. उत्कृष्ट अद्धा सोय, ए पिण दोय भवां तणों।
देश ऊण पल्य दोय, वर्ष सहस्र बावीस फुन । २३. अष्टम गम संवेह, बे भव अद्ध जघन्योत्कृष्ट ।
देश ऊण पल्य बेह, अंतर्मुहूर्त अधिक ही । ११२ भगवती जोड़
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