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८. नवरं इता स्थानक विधे जी, नानात्व भेद भणेह । अवगाहना स्थिति इंद्रिये जी, अनुबंध मांहि कहेह || ८९. तनु अवगाहन जघन्य थी जी, आंगल नों अवधार । असंख्यातमों भाग छे जी, उत्कृष्ट गाऊ च्यार ॥ ९०. स्थिति जपन्य थी जाणवी जी अंतर्मुहुर्त जास
उत्कृष्टी षट मास नीं जी, अनुबन्ध पिण इम तास । ९१. श्रोत विना चिउ इंद्रियां जी, शेष तिमज अवदात यावत नवमा गमा विषे जी, संवेध सूत्रे ख्यात ।।
सोरठा
९२. जाव शब्द में जेह, अष्ट गमां नों इह विधे । कहियो जे संदेह, आबू उपयोगे करी । ९३. प्रथम गमे संदेह, बे जघन्य थी । बेह, उत्कृष्ट भव अद्धा संख्या ||
भव अद्धा
अंतर्मुहुर्त
९४. द्वितीय गमे संवेह, बे भव अद्धा जघन्य थी । अंतर्म बेह उत्कृष्ट भव अद्धा संख्या ।।
इहां प्रथम, बीजे गमे चउरिद्री नीं अन पृथ्वी नीं ए बिहुं पक्षे जघन्य स्थिति मार्ट उत्कृष्ट संख्याता भव कह्या ।
९५. तीजे गमे संवेह, बे भव अद्धा जघन्य थी । लेह वर्ष सहस्र बावीस बावीस फुन ॥
अंतर्गत
इहां एक पक्ष पृथ्वी नीं उत्कृष्ट स्थिति मार्ट उत्कृष्ट अष्ट भव । तेहनों काल कहै छै -
९६. उत्कृष्ट अद्धा तास, अष्ट भवां नों इह विधे । चउरिद्रिय बे वास, वर्ष अठपासी सहस्र फुन । ९७. तुयं गमे संवेह, बे भव अद्धा जघन्य थी। भव अद्धा संख्या ||
अंतर्मुहुर्त बेह, उत्कृष्ट ९५. पंचम गमे संदेह, बे भव अद्धा जघन्य थी । अंतर्मुहुर्त बेह उत्कृष्ट भव अद्धा संख्या ||
इहां पचे पंचमेन विपक्षे चरिंडी अने पृथ्वी न जन्य स्थिति मार्ट उत्कृष्ट संख्याता भव कह्या ।
९९. षष्ठम गमे संदेह, बे भव अद्धा जघन्य अंतर्मुहूर्त्त तेह, वर्ष सहस्र बावीस इहां एक पक्ष पृथ्वी नीं उत्कृष्ट स्थिति मार्ट उत्कृष्ट काल कहे छ
१०० उत्कृष्ट अद्धा धार, अष्ट भवां अंतर्मुहूर्त प्यार, वर्ष अठपासी १०१. सप्तम गम सुविमास, बे
नों इह सहस्र भव अद्धा जघन्य चरिद्रिय षट मास, पुढवी अंतर्मुहूर्त्त
फुन ॥
इहां एक पक्षे उत्कृष्ट स्थिति मार्ट उत्कृष्ट प भव । तेनों काल कहै
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थी।
फुन ॥
आठ भव । तेनों
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विधे ।
फुन ॥
थी ।
८. नवरं - एतेसु चेव ठाणेसु नाणत्ता जाणियव्वा ।
८९. सरीरोगाणा जहणेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाइ ।
९०. ठिती जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं य छम्मासा । एवं अणुबधो वि ।
९१. चत्तारि इंदियाई सेसं तहेव जाव नवमगमए
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श० २४, ३०१२, डा० ४२१ ९९
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