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________________ ७६७ नागेन्द्रगच्छ ७९. देसाई, पूर्वोक्त, पृ० ४३०-४३१. ८०. Majumdar, Ibid, pp. 417-418. ८१. G. C. Chaudhary Political History of Northern India From Jain Sources, Amritsar 1963 A. D. ८२. तथा श्रीवीरमोक्षात् १६३९ विक्रमात् १२६ (०) ९ वर्षेः श्री विधिपक्षमुख्याभिधानं श्रीमदंचलगच्छे श्री आर्यरक्षितसूरयः स्थापयामासुः । मेरुतुंगाचार्य विरचित विचारश्रेणी, मुनि जिनविजय, संपा०, जैन साहित्य संशोधक, वर्ष २, अंक ३-४ पूना १९२५. विचारश्रेणी की एक मुद्रित प्रति प्रो० एम० ए० ढांकी के पास भी है, परन्तु उसमें प्रकाशन सम्बन्धी सूचनाओं का अभाव है। ८३. देसाई, पूर्वोक्त, पृ० ४४२. P. Peterson, Sixth Report of Operation in Search of Sanskrit Mss in the Bombay Circle, April 1885- March 1889 A. D. pp 43-46 एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी, प्रबन्धचिन्तामणि (हिन्दी अनुवाद), सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ३, शान्तिनिकेतन १९४० ई० सन्, प्रस्तावना, (लेखक - मुनि जिनविजय) पृ० 'ठ' ८५. P.Peterson, Ibid, pp. 43-46. संकेत सूची :जै० ले० सं० - जैन लेख संग्रह, भाग १-३, संपा०, पूरनचन्द नाहर, कलकत्ता १९१८, १९२७, १९२९ ई० सन्. प्रा० जै० ले० सं० - प्राचीन जैन लेख संग्रह, भाग २, संपा०, मुनि जिनविजय, जैन आत्मानन्द सभा, भावनगर. जै० धा० प्र० सं०- जैन धातु प्रतिमा लेख संग्रह, भाग १-२, संपा०, बुद्धिसागरसूरि, अध्यात्म ज्ञान प्रसार मण्डल, पादरा १९१८ और १९२४ ई० सन्. प्रा० ले० सं० - प्राचीन लेख संग्रह, संपा०, विजयधर्मसूरि, यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, भावनगर १९२६ ई० सन्. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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