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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है इस गच्छ के सम्बद्ध पूर्वमध्यकाल एवं मध्यकाल के पर्याप्त संख्या में अभिलेखीय साक्ष्य मिलते हैं । इनमें इस गच्छ के विभिन्न मुनिजनों के नाम ज्ञात होते हैं, परन्तु उनमें से कुछ के पूर्वापर सम्बन्ध ही स्थापित हो सके हैं, जो निम्नानुसार हैं :
७४८
भुवनान्दसूरि के पट्टधर पद्मचन्द्रसूरि
वि० सं० १३६९ वैशाख वदि ८ पद्मचन्द्रसूरि के पट्टधर रत्नाकरसूरि
वि० सं० १४१५ रत्नाकरसूरि के पट्टधर रत्नप्रभसूरि
वि० सं० १४२२ वैशाख सुदि ११
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बुधवार
वि० सं० १४४६ वैशाख वदि ३ सोमवार
वि० सं० १४४७ फाल्गुन सुदि ८ सोमवार
रत्नप्रभसूरि के पट्टधर सिंहदत्तसूरि
वि० सं० १४६६ .
वि० सं० १४७४ माघ सुदि ७
शुक्रवार
वि० सं० १४८३ ..
उदयदेवसूरि
वि० सं० १४४९ वैशाख सुदि ३
सोमवार
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श्री० प्र० ले० सं०, लेखांक ५८
प्र० ले० सं०, लेखांक १५१
जै० ले० सं०, भाग २,
लेखांक १०५३
वही, भाग १,
लेखांक ६८९
जै० धा० प्र० ले० सं०, भाग १, लेखांक ३५९
श० वै०, लेखांक ५७
जै० ले० सं०.
भाग २,
१०६५
वही, भाग, लेखांक ५२१
लेखांक
वही, भाग २, लेखांक ११२४
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