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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास १५६७ में रचित सारस्वतव्याकरणदीपिका की प्रशस्ति, जिसमें रचनाकार ने अपनी गुरु- परम्परा की लम्बी गुर्वावली दी है, जो इस गच्छ के इतिहास के अध्ययन की दृष्टि से अति मूल्यवान है । गुर्वावली इस प्रकार है :
वादिदेवसूरि
I पद्मप्रभसूरि
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प्रसन्नचन्द्रसूरि
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गुणसमुद्रसूरि |
जयशेखरसूरि
1 वज्रसेनसूरि
तिलकसूरि
T
रत्नशेखरसूरि
1
पूर्णचन्द्रसूरि
1
प्रेम (हेम) हंससूरि
रत्नसागरसूरि हेमसमुद्रसूरि
हेमरत्नसूरि
सोमरत्नसूरि
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