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हर्षपुरीयगच्छ अपरनाम मलधारीगच्छ
१३२७ ई० सन् १३५९ तक के प्रतिमालेखों में उल्लिखित उनके शिष्य राजशेखरसूरि समसामयिकता के आधार पर प्रतिमालेखों में प्रसिद्ध आचार्य राजशेखरसूरि और उनके गुरु श्रीतिलकसूरि से अभिन्न माने जा सकते हैं।
उक्त अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर मलधारिगच्छीय मुनिजनों की गुरु परम्परा की पूर्वोक्त तालिका को जो वृद्धिगत स्वरूप प्राप्त होता है, वह इस प्रकार है (द्रष्टव्य - तालिका क्रमांक २) :
तालिका क्रमांक - २ जयसिंहसूरि
अभयदेवसूरि
हेमचन्द्रसूरि
विजयसिंहसूरि श्रीचन्द्रसूरि विबुधचन्द्रसूरि लक्ष्मणगणि वि० सं० ११९१/वि० सं० ११९३/ मुनिसुव्रत- वि० सं० ११९९/
ई० सन् ई० सन् स्वामिचरित ई० सन् ११३५ में ११३७ में के लेखन ११४३ में धर्मोपदेशमाला- मुनिसुव्रत- में सहायक) सुपासनाहवृत्ति स्वामिचरित
चरिय के के रचनाकार) के रचनाकार)
रचनाकार)
मुनिचन्द्रसूरि
देवभद्रसूरि (संग्रहणीवृत्ति के रचनाकार)
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