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विद्याधरगच्छ
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उक्त प्रतिमालेखीय साक्ष्यों के आधार पर विद्याधरगच्छ के जिन मुनिजनों के नाम प्राप्त होते हैं, वे इस प्रकार हैं : मुनिसंगमसिद्ध (वि० सं० १०६४)
उदयदेवसूरि 'प्रथम' (वि० सं० १४०८ - १४२९ )
देवप्रभसूरि (वि० सं० १४०९)
विजयप्रभसूरि 'प्रथम' (वि० सं० १४११ - १४१३) गुणप्रभसूरि (वि० सं० १४४० - १४४५) उदयदेवसूरि 'द्वितीय' (वि० सं० १४५२) विजयप्रभसूरि 'द्वितीय' (वि० सं० १५११) हेमभद्रसूरि (वि० सं० १५१५ - १५३४ )
विक्रम संवत् की १६वीं शताब्दी के मध्य के पश्चात् इस गच्छ से संबद्ध कोई भी साहित्यिक या अभिलेखीय साक्ष्य नहीं मिलता, अत: यह माना जा सकता है कि इस समय के पश्चात् विद्याधरगच्छ का अस्तित्व समाप्त हो गया होगा ।
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