________________
बृहद्गच्छ
___ ११३९ २९. देखिये, तालिका नं० ३. ३०. तालिका नं० ४. ३१. विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य -
मुनि पुण्यविजय द्वारा सम्पादित आख्यानकमणिकोष की प्रस्तावना, पृ० ६-८;
मोहनलाल दलीचन्द देसाई, जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, पृ० २१८. ३२. रसिकलाल छोटालाल परीख एवं केशवराम काशीराम शास्त्री, संपा० गुजरातनो
राजकीय अने सांस्कृतिक इतिहास, भाग ४, पृ० २९-९१; देसाई, पूर्वोक्त पृ० ३४१-४३.
त्रिपुटी महाराज - जैनपरम्परानो इतिहास, भाग २, पृ० ५६०. ३४. परीख और शास्त्री - पूर्वोक्त भाग ४, २९४. ३५. वही. ३६. वही. ३७. मुनि चतुरविजय - संपा० जैनस्तोत्रसन्दोह, भाग १, पृ० ११८. ३८. परीख और शास्त्री-वही;
देसाई, पूर्वोक्त पृ० २५०. ३९. परीख और शास्त्री, - पूर्वोक्त पृ० ३०३-४.
मोहनलाल दलीचन्द देसाई, - पूर्वोक्त पृ० २३५.
लालचन्द भगवानदास गांधी - ऐतिहासिकलेखसंग्रह, पृ० १३३. ४२. वही पृ० १३३. ४३. वही पृ० १३४. ४४. मुनि पुण्यविजय संपा० आख्यानकमणिकोषवृत्ति, प्रस्तावना, पृ० ८. ४५. देसाई, पूर्वोक्त, पृ० २७५. ४६. मुनि पुण्यविजय, पूर्वोक्त पृ० ८. ४७. अगरचन्द नाहटा, - "जैन श्रमणों के गच्छों पर संक्षिप्त प्रकाश", श्रीयतीन्द्रसूरि
अभिनन्दन ग्रन्थ पृ० १५३. ४८. वही पृ० १५१ तथा इसी पुस्तक के अन्तर्गत द्रष्टव्यः नागपुरीय तपागच्छ का संक्षिप्त
इतिहास ४९. वही पृ० १५४.
४१.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org