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क्रमांक | संवत् | तिथि/| ग्रन्थ का मूल प्रशस्ति प्रशस्तिगत | प्रतिलिपि- संदर्भ ग्रन्थ मिति नाम | प्रतिलेखन | आचार्य/ |
प्रशस्ति । मुनि का नाम ४४. | १७७२ | कार्तिक सिद्धान्तकौमुदी प्रतिलेखन | महिमाप्रभसूरि
वही, सुदि ५
प्रशस्ति के शिष्य
क्रमांक ५८१२, मंगलवार
भावप्रभसूरि
पृ० ३६९ ४५. | १७८१ / मार्गशीर्ष | श्रीपालचरित्र । प्रतिलेखन | महिमाप्रभसूरि | भावप्रभसूरि वही, शुक्ल की दाता के शिष्य
क्रमांक ४२०६, चतुर्दशी प्रशस्ति भावप्रभसूरि
पृ० २३९ ४६. | १७८१
अष्टाहिका- मूलप्रशस्ति विनयप्रभसूरि के धुराख्यान
पट्टधर
क्रमांक २३३३, (गद्य) महिमाप्रभसूरि
पृ० ११७ के पट्टधर भावप्रभसूरि
वही,
जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
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