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पूर्णिमागच्छ ढंढेरिया शाखा
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क्रमांक | संवत् | तिथि/ ग्रन्थ का मूल प्रशस्ति प्रशस्तिगत | प्रतिलिपि- संदर्भ ग्रन्थ
मिति
नाम
प्रतिलेखन | आचार्य/ कार
प्रशस्ति । मुनि का नाम ३४. | १७१४ | ज्येष्ठ उत्तराध्ययनसूत्र | प्रतिलेखन । विनयप्रभसूरि विनयप्रभसूरि वही, वदि १३ की संस्कृत की दाता के शिष्य
क्रमांक ९९८, शुक्रवार छाया प्रशस्ति | मुनिकीर्तिरत्न
पृ०८१ ३५. | १७२२ | आश्विन औपपातिक
विनयप्रभसूरि विनयप्रभसूरि वही, वदि ३ स्तवन
क्रमांक ३६०, मंगलवार
पृ० ३३ ३६. | १७३७ | चैत्र १४ न्यायसिद्धान्त- | प्रतिलेखन | महिमाप्रभसूरि महिमाप्रभसूरि वही, मंगलवार मंजरी लघु- | प्रशस्ति
क्रमांक १०८, चिन्तामणि
पृ० १०-११ ३७. | १७५० | तिथि वरडाक्षेत्रपाल- मूलप्रशस्ति | महिमाप्रभसूरि - वही, विहीन स्तोत्र अवचूरि
पट्टधर
क्रमांक ४३४३, भावप्रभसूरि
पृ० २६५
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