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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास वि० सं० १५१७ माघ सुदि ५ श०गि०द०, लेखांक ४८५
गुरुवार वि० सं० १५१९ वैशाख सुदि ३ रा० प्र० ले० सं०, लेखांक २२१
गुरुवार वि० सं० १५१९ मार्गशिर सुदि ४ श्री० प्र० ले० सं०, लेखांक ८
गुरुवार वि० सं० १५२२ ज्येष्ठ वदि ८ जै० ले० सं०, लेखांक २३४६
सोमवार भाग ३ वि सं. १५२७ ज्येष्ठ वदि ७ जै० स० प्र० पृष्ठ ३०३ सोमवार
वर्ष ८,
अंक १० लेखांक १६ साधुरत्नसूरि के शिष्य ( ? ) श्रीसूरि
इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित एक प्रतिमा प्राप्त हुई है जिस पर वि०सं० १४८६ ज्येष्ठ सुदि ६ रविवार का लेख उत्कीर्ण है। साधुरत्नसूरि के पट्टधर साधुसुन्दरसूरि
इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित प्रतिमायें मिली हैं जो वि०सं० १५०७ से वि०सं० १५३३ तक की हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : वि० सं० १५०७ वैशाख वदि ११ जै० धा० प्र० लेखांक १००४
बुधवार ले० सं०, भाग १ वि० सं० १५१५ फाल्गुन सुदि ४ श्री०प्र० ले० सं० लेखांक २६२ वि० सं० १५१५ फाल्गुन सुरि ८ अ० प्र० जै० लेखांक १७१
शनिवार ले० सं० वि० सं० १५१५ ,
जै० धा० प्र० ले० लेखांक १५० वि० सं० १५१५ ,,
जै० स० प्र०, वर्ष ५, अंक ४ "धातु
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