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________________ ९४६ वि० सं० १५११ ज्येष्ठ वदि १० सोमवार वि० सं० १५११ वि० सं० १५११ वि० सं० १५११ गुरुवार वि० सं० १५१२ ज्येष्ठ वदि ९ आषाढ़ सुदि ५ शुक्रवार माघ वदि ३ बुधवार माघ सुदि ५ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास वही भाग २ लेखांक ४६२ , वही, भाग २ लेखांक ३७७ प्रा० ले० सं० लेखांक २६७ रा० प्र० ले० सं०लेखांक १७१ जै० ले० सं०, लेखांक २१३६ भाग ३ गुरुवार गुणसमुद्रसूरि के पट्टधर पुण्यरत्नसूरि पुण्यरत्नसूरिकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित ३० सलेख जिन प्रतिमायें मिली हैं, जो वि०सं० १५१२ से वि०सं० १५३६ तक की हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : वि० सं० १५१२ चैत्र वदि ८ वि० सं० १५१७ शुक्रवार वि० सं० १५१२ ज्येष्ठ सुदि ८ रविवार वि० सं० १५१५ फाल्गुन सुदि ९ रविवार वि० सं० १५१७ वैशाख वदि ८ Jain Education International शुक्रवार माघ वदि ८ बुधवार वि० सं० १५१८ फाल्गुन वदि १ सोमवार अ० प्र० जै० लेखांक ५८२ ले० सं० जै० धा० प्र० लेखांक १०६ ले० सं०, भाग १ रा० प्र० ले० सं० लेखांक १९२ जै० ले० सं०, लेखांक २०८५ भाग २, श्री० प्र० ले० सं० लेखांक ७१ जै० धा० प्र० लेखांक १७० ले० सं०, भाग २ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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