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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org क्रमाङ्क संवत् १३४. १५३२ १३५. १३६. १३७. चैत्र सुदि ४ शुक्रवार माघ सुदि १३ शुक्रवार १५३४ | फाल्गुन सुदि ९ बुधवार १५३४ ज्येष्ठ तिथि १५३४ वदि १ शनिवार आचार्य का नाम चन्द्रप्रभसूरि शालि (भद्र) सूरि धर्मसुन्दरसूरि के पट्टधर धर्मसागरसूरि प्रतिमालेख / स्तम्भलेख शीतलनाथ की धातु की चौबीसी प्रतिमा का लेख नमिनाथ की धातु प्रतिमा का लेख वासुपूज्य की धातु की प्रतिमा का लेख विमलनाथ की धातुप्रतिमा का लेख प्रतिष्ठा स्थान जैन देरासर, घोघा विजयधर्मसूरि पूर्वोक्त, लेखांक ४४३ शांतिनाथ देरासर, भिडीबाजार, मुम्बई शामला पार्श्वनाथ जिनालय, बंबा वाली शेरी, राधनपुर संदर्भ ग्रन्थ संभवनाथ देरासर, झवेरीवाड़, अहमदाबाद कान्तिसागर, पूर्वोक्त, लेखांक २३० मुनि विशालविजय, पूर्वोक्त लेखांक २८६ बुद्धिसागरसूरि, पूर्वोक्त, भाग-१, लेखांक ८३६ पिप्पलगच्छ ८७७
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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