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________________ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास 'संवत ११३३ नाणक गच्छे यशोदेवसुतेन वामदेवेन कारित: ।' इस गच्छ से सम्बधित तृतीय लेख वि० सं० ११४१ का है, जो इसी जिनालय में स्थित एक तीर्थकर प्रतिमा पर उत्कीर्ण है । लेख इस प्रकार है - I ६२६ 'संवत ११४१ श्रीनाणकीय गच्छे पालिसयुतेन धीरक स्त्रा (श्रा) वकेन श्रेयोर्थं कारिता ।' इसी गच्छ का एक अन्य अभिलेख वि० सं० ११४२ का है, जो अहमदाबाद के सीमन्धर स्वामी के देरासर में स्थित महावीर की प्रतिमा पर उत्कीर्ण है, लेख इस प्रकार है 'सं० ११४३ श्रीनाणकीयगच्छे स्वसुवपद्मासुयचनतः श्राद्धैः श्रीवीरनाथबिंबं चायणसुदेवऊलभदेवडमनि ॥६ - जैसा कि हम ऊपर देख चुके हैं, इस गच्छ में सिद्धसेनसूरि घनेश्वरसूरि, महेन्द्रसूरि और शान्तिसूरि इन चार पट्टधर आचार्यों के नामों की ही पुनरावृत्ति होती है । इन परागत नामों का उल्लेख करनेवाला सर्वप्रथम लेख वि० सं० १९९८ / ई० सन् १९४१ का है जो आबू के निकट मालणु नामक ग्राम में स्थित जिनालय के गूढ़ मंडप में उत्कीर्ण है । इस लेख में प्रतिमा प्रतिष्ठापक आचार्य के रूप में श्रीधनेश्वरसूरि का उल्लेख है । लेख इस प्रकार है : संवत् ११९८ वैशाख शुदि ३ छारा सुत भूणदेव भार्या वेल्ही पुत्रैः धणदेवजिदुश्च सहदेव जसधवलश्रावकैः । निजभग्नी महणी सुपुत्र जेसलप्रभृतिसहितः । श्रीनाणकगच्छ प्रति पड ( ? ) सीपेरकस्थान - श्रीशांतिनाथचैत्ये श्रीमहावीरबिंबं कारितं श्रेयोनिमित्तं श्रीधनेश्वराचार्यः प्रतिष्ठतमिति ॥ पींडवाड़ा के महावीर जिनालय के स्तम्भ पर वि० सं० १२०८ का एक लेख उत्कीर्ण है । यह लेख भी इसी गच्छ से सम्बन्धित है, परन्तु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003614
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages714
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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