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________________ ५३४ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास में रामसेन स्थित जिनालय में प्रतिमा प्रतिष्ठापक (विजयसिंहसूरि) ___ शालिभद्रसूरि [द्वितीय] वि० सं० ११३९/ ई० सन् १०८३ में सटीकबृहत्संग्रणीप्रकरण के रचनाकर्ता शांतिसूरि नामिसाधु [वि० सं० ११२२/ ई० सन् १०६५ में षडावश्यसूत्रवृत्ति एवं वि० सं० ११२५ / ई० सन् १०६८ में काव्यालंकारटिप्पन के रचनाकार] -- (सर्वदेवसूरि) (विजयसिंहसूरि) (शांतिसूरि) सर्वदेवसूरि [इनके अनुयायी श्रावक यशचन्द्र ने वि० सं० १२५९/ ई० सन् १२०३ में पार्श्वनाथ की धातु की प्रतिमा बनवायी] [वि० सं० १२८८ / ई० सन् १२३२] प्रतिमालेख [महामात्य वस्तुपाल द्वारा वि० सं० १२९८ / ई० सन् १२४२ में शत्रुञ्जय महातीर्थ पर उत्कीर्ण कराये गये शिलालेख में उल्लिखित सर्वदेवसूरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003614
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages714
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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