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________________ ४९२ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर धारणपद्रीय (थारापद्रीय) शाखा के मुनिजनों की तालिका इस प्रकार बनती है : लक्ष्मीदेवसूरि (वि० सं० १५०७-१५२८) १४ प्रतिमालेख ज्ञानदेवसूरि (वि० सं० १५२७-१५३०) ५ प्रतिमालेख राजदेवसूरि (वि० सं० १४००) १ प्रतिमालेख पासदेवसूरि (वि० सं० १४५७) १ प्रतिमालेख विजयदेवसूरि (वि० सं० १५०६) १ प्रतिमालेख सोमदेवसूरि (वि० सं० १५३२-१५५४) २ प्रतिमालेख विजयदेवसूरि (वि० सं० १५८२) १ प्रतिमालेख ३. चतुर्दशीपक्ष - चैत्रगच्छ की इस शाखा का केवल एक लेख मिला है, जो वि० सं० १५०६ का है। आचार्य बुद्धिसागरसूरि ने इस लेख की वाचना इस प्रकार दी है : "संवत् १५०६ वर्षे माघ सुदि १३ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीयसा. मेलाभा० करमादेसुत श्रीरंग भा० अमरी स्व श्रेयोहेतवे श्रीश्रीचन्द्रप्रभनाथमुख्यचतुर्विंशतिपट्टः कारित: चतुर्दशीपक्षे चैत्रगच्छे श्रीगुणदेवसूरिसंताने श्रीजिनदेवसूरिभिः प्रतिष्ठितः शुभं भवतु ॥" । प्रतिष्ठास्थान - श्री अमीझरा पार्श्वनाथ जिनालय, जीरारवाडो, खंभात Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003614
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages714
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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