________________ प्रकाशकीय गच्छों के इतिहास का अपने आप में एक खास महत्त्व है / डॉ. शिवप्रसादजी कई वर्षों से गच्छों के इतिहास के बारे में कार्य कर रहे हैं। आप के 'तपागच्छ का इतिहास', 'अंचलगच्छ का इतिहास' आदि स्वतंत्र पुस्तक के रूप में प्रगट हो चुके हैं। अन्यान्य गच्छों के छोटे-बड़े लेख विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रगट हुए हैं / इन विविध गच्छों के विषय के भिन्न-भिन्न लेख यहाँ ग्रंथस्थ होकर प्रगट हो रहे हैं। गच्छों के इतिहास की सामग्री ग्रंथस्थ होकर एक साथ ही उपलब्ध होने से अध्येताओं को बड़ी सरलता रहेगी / - इसका अध्ययन करके अतीत के इतिहास को समझने की कोशिश करें / इस ग्रंथ के प्रकाशन का संपूर्ण लाभ श्री रांदेर रोड जैन संघ सूरत ने पू॰आ.भ. श्री मुनिचन्द्रसूरि म.सा. के वि०सं० 2065 में संघ में हुए चातुर्मास की विविध आराधनाओं की अनुमोदना हेतु लिया है। श्री संघ की श्रुतभक्ति की भूरि-भूरि अनुमोदना / -प्रकाशक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org