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कोरंट गच्छ
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वाचक देवसुन्दर
वाचक देवमूर्ति
वाचक देवप्रभ (वि० सं० १६१९ में रायपसेणियसुत्त के
प्रतिलिपि कर्ता) कोरंट गच्छ से सम्बद्ध अब तक उपलब्ध अन्तिम साक्ष्य होने के कारण ही इस प्रशस्ति का महत्त्व है।
कोरंटगच्छीय आचार्यों द्वारा प्रतिष्ठापित प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण लेखों का कालक्रमानुसार विवरण इस प्रकार है
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