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________________ ३०३ काशहद गच्छ [वि०सं० १४७१/१४१५ ई. के [वि०सं० १४७२] प्रतिमालेख आसपास विक्रमचरित के रचनाकार] सिंहसूरि [इन्होंने वि०सं० १४९२ और १४९५ में विक्रमचरित की स्वपठनार्थ प्रतिलिपि करवायी.] संदर्भ सूची: १. यह वही ऐतिहासिक स्थान है जहां चौलुक्यनरेश बाल मूलराज [११७६-७८ ई.] और शहाबुद्दीन गोरी की सेनाओं में भीषण संघर्ष हुआ था, जिसमें तुर्कों की बुरी तरह पराजय हुई थी। R. C. Majumdar, and A.D. Pusalker, (Ed.) - The Struggle For Empire, 3rd Ed., p. 78. २. C.D. Dalal, - Descriptive Catalogue of Mss in the Jaina Bhandars at Pattan, P. 210-213. साराभाई नवाब- "गुजरातनी केटलीक प्राचीन जिनमूर्तियो" श्रीमहावीर जैन विद्यालय रौप्य जयन्ती ग्रन्थ, मुंबई १९४० ई०, पृष्ठ १४४-४५. मुनि जयन्तविजय (संपा०), अर्बुदप्राचीनजैनलेखसंदोह, लेखांक १७१. वही, लेखांक ५५, ७३, ९५, ९८, १००, १०३, १०४, १०६, १०९, १४७ वही, लेखांक ४३. भोगीलाल सांडेसरा - महामात्य वस्तुपाल का साहित्य मंडल और संस्कृत साहित्य में उसकी देन, पृष्ट १०२-१०३, संदर्भ संख्या ३. प्रो० सांडेसरा ने प्रश्नशतक का रचनाकाल ई० सन् ११७८ माना है, जो भ्रामक है। अगरचन्द नाहटा, भंवरलाल नाहटा (संपा०), बीकानेर जैन लेख संग्रह, लेखांक २१०. बुद्धिसागरसूरि (संपा०) जैन धातु प्रतिमा लेख संग्रह, भाग १, लेखांक ५६२. १०. मुनि जयन्तविजय, पूर्वोक्त, लेखांक ५६२. ११. बुद्धिसागरसूरि, पूर्वोक्त, भाग २, लेखांक ४७१. ॐ 3 ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003614
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages714
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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