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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास कहीं सिद्धाचार्यसंतानीय तथा किन्ही-किन्ही लेखों में दोनो विशेषणों का साथ-साथ प्रयोग मिलता है।
उपकेशगच्छ से सम्बद्ध ऐसे भी अनेक प्रतिमालेख प्राप्त हुए हैं जिनमें प्रतिमा प्रतिष्ठापक आचार्य न तो ककुदाचार्यसंतानीय बतलाये गये हैं और न ही सिद्धाचार्यसंतानीय । इससे यह स्पष्ट होता है कि उक्त शाखाओं (सिद्धाचार्यसंतानीय, ककुदाचार्यसंतानीय तथा द्विवंदणीक शाखा) से भिन्न इन मुनिजनों की परम्परा का अपना स्वतंत्र अस्तित्व था । इस श्रेणी के अभिलेखीय साक्ष्यों का विवरण इस प्रकार है
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