________________
Jain Education International
आगमिक गच्छ
For Private & Personal Use Only
क्रमाङ्क संवत् | तिथि | आचार्य का नाम | प्रतिमालेख/ । प्रतिष्ठा स्थान | संदर्भ ग्रन्थ
स्तम्भलेख ३०. | १४९३ | चैत्र । जयाणंदसूरि | धर्मनाथ की वीर जिनालय, मुनि विशालविजय, वदि ८
पंचतीर्थी प्रतिमा | राधनपुर | पूर्वोक्त, गुरुवार का लेख
लेखाङ्क १२२ ३१. | १४९४ | माघ | जयानन्दसूरि | संभवनाथ की शांतिनाथ जिनालय, विजयधर्मसूरि,
सुदि ५ | के शिष्य श्रीसूरि | पंचतीर्थी राधनपुर पूर्वोक्त, गुरुवार प्रतिमा का लेख
लेखाङ्क १६२ एवं मुनि विशालविजय, पूर्वोक्त,
लेखाङ्क १२३ ३२. | १३९६ | फाल्गुन
विमलनाथ की | नवपल्लव पार्श्वनाथ | बुद्धिसागरसूरि, (१४९६)| वदि २
चौबीसी प्रतिमा | जिनालय, पूर्वोक्त, भाग २, शुक्रवार
का लेख बोलपीपलो, खंभात | लेखाङ्क १०८६
-
-
www.jainelibrary.org