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________________ २७१ - उदयविमलसोमसूरि गजसोमसूरि मुनीन्द्रसोमसूरि राजसोमसूरि आणंदसोमसूरि देवेन्द्रविमलसोमसूरि मुनीन्द्रसोमसूरि तत्त्वविमलसोमसूरि केशरसोमसूरि पुण्यविमलसोमसूरि सोमजी कस्तूरसोमसूरि रत्नसोमसूरि रायचन्दजी (वि०सं० १८६८ में स्वर्गस्थ) जैसा कि ऊपर हम देख चुके हैं वि०सं० १५८३ में आचार्य हेमविमलसूरि के निधन के पश्चात् सौभाग्यहर्षसूरि उनके पट्टधर बने। इनके द्वारा प्रतिष्ठापित कुछ जिनप्रतिमायें प्राप्त हुई हैं जो वि०सं० १५८४ से वि०सं० १५९५ तक की हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : १. सं० १५८४ वर्षे चैत्र वदि ५ गुरौ प्राग्वाट्ज्ञातीय वीसलनगर-वास्तव्य सं० रत्नाकेन भा० पूतलि पुत्र सं० कान्हा पुत्रा रमाई प्रमुखयुतेन श्रेयोर्थं श्रीकुन्थुनाथबिंब कारितं तपांगच्छे श्रीहेमविमलसूरि पट्टे श्रीसौभाग्यहर्षसूरिभिः॥ कुन्थुनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख, प्रतिष्ठास्थान-मोतीशाह की ट्रॅक, शजय, पालिताना मुनिकांतिसागर, संपा० शत्रुजयवैभव, लेखांक २७९. २. सं० १५८४ वर्षे चैत्र वदि ९ सोमे आमलेश्वरवास्तव्य ला० श्रीमाल० ज्ञा० श्रीजिनधर्मनिष्ठिकश्रे० सदाभा० नाथीपुत्रश्रे० जिणदासभा० पूतलिनाम्न्या भ्रा० श्रे० डूंगरश्रेष्ठिवर्द्धमान श्रे० हेमादियुतेन पुत्रभूपामंगासहितेन स्वश्रेयोऽर्थं श्रीमुनिसुव्रतचतु० का०प्र० तपागच्छे श्रीश्रीश्रीसौभाग्यहर्षसूरिभिः।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003611
Book TitleTapagaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2000
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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