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सोमसुन्दरसूरि-तपागच्छ के प्रमुख नायकों में सोमसुन्दरसूरि का विशिष्ट स्थान है। इनका जन्म वि० सं० १४३० में प्रल्हादनपुर (वर्तमान पालनपुर) में हुआ था। इनके पिता का नाम सज्जन
और माता का नाम माल्हण देवी था। वि०सं० १४३७ मे सात वर्ष की आयु में इन्होंने जयानन्दसूरि के पास दीक्षा ग्रहण की और सोमसुन्दर नाम प्राप्त किया। वि०सं० १४५० में पाटण में इन्हें वाचक पद प्राप्त हुआ और वि० सं० १४५७ में पाटण में ही देवसुन्दरसूरि द्वारा आचार्य पद प्राप्त हुआ। मुनिसुन्दरसूरि कृत गुर्वावली (रचनाकाल वि० सं० १४६६); चारित्ररलगणिकृत चित्रकूटमहावीरप्रासादप्रशस्ति' (रचनाकाल वि० सं० १४९५); प्रतिष्ठासोमकृत सोमसौभाग्यकाव्य २ (रचनाकाल वि० सं० १,२४, सोमचरित्रगणिकृत गुरुगुणरत्नाकर (रचनाकाल वि०सं० १५४१) आदि ग्रन्थों से इनके जीवन के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है।
आचार्य सोमसुन्दरसूरि द्वारा रचित कृतियाँ इस प्रकार हैं : १. आराधनारास
उपदेशमालाबालावबोध (रचनाकाल वि० सं० १४८५) षष्ठिशतकबालावबोध (रचनाकाल वि० सं० १४९६) योगशास्त्रबालावबोध भक्तामरस्तोत्रबालावबोध आराधनापताकाबालावबोध षड़ावश्यकबालावनोध नवतत्त्वबालावबोध (रचनाकाल वि०सं० १५०२)
अष्टादशस्तवी (रचनाकाल वि०सं० १४९० के आसपास) १०. आतुरप्रत्याख्यानटीका
आवश्यकनियुक्तिअवचूरि १२. इलादुर्गऋषभजिनस्तवन १३. चैत्रवन्दनसूत्रभाष्यटीका १४. जिनकल्याणकादिस्तवन १५. जिनभवस्तोत्र १६. पार्श्वस्तोत्र १७. श्राद्धजीतकल्पवृत्ति १८. षट्भाषामयस्तव १९. सप्ततिकासूत्रचूर्णि २०. साधुसामाचारीकुलक
सोमसुन्दरसूरि द्वारा वि० सं० १४७० से वि० सं० १४९९ के मध्य तक प्रतिष्ठापित बड़ी संख्या में सलेख जिनप्रतिमायें प्राप्त हुई हैं। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है :
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