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जच्चन्द्रसूरि देवेन्द्रसूरि
वज्रसेन
क्षेमकीर्ति
(वि० सं० १३३२ / ई०स० १२७६
में बृहदकल्पसूत्रवृत्ति के रचनाकार)
जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है, बृहद्बौशालिक शाखा की एक पट्टावली" प्राप्त होती है। इसमें रचनाकार द्वारा विजयचन्द्रसूरि से लेकर धनरत्नसूरि एवं उनके शिष्यों तक की दी गयी गुरु-परम्परा इस प्रकार है :
विजयचन्द्रसूरि
रत्नसागर
२२०
वज्रसेन
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पद्मचन्द्र
विजयचन्द्रसूरि
पद्मचन्द्र
क्षेमकीर्तिसूरि
हेमकलशसूरि
I
रत्नाकरसूरि
I
रत्नप्रभसूर
मुनिशेखरसूरि
धर्मदेवसूरि
ज्ञानचन्द्रसूरि
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अभयचन्द्रसूरि
जयतिलकसूरि
रत्नसिंहसूर धर्मशेखरसूरि माणिक्यसूरि संघति सूरि
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नयप्रभ
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