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________________ ४२. २१५ ई०, पृष्ठ ६५-६६ एवं जैनस्तोत्रसंदोह, भाग २, पृष्ठ १०८ टिप्पणी में उद्धृत. मुनि जिनविजय, संपा०- विविधगच्छीयपट्टावलीसंग्रह, सिंघीजैनग्रन्थमाला, ग्रन्थंक ५३, मुम्बई १९६१ ई०, पृष्ठ २१९-२२०. ४१. जैनगूर्जरकविओ, भाग ९, पृष्ठ ८५-८९. पट्टावलीपरागसंग्रह, पृष्ठ १८२ १८६. मुनि जिनविजय, संपा० - जैनऐतिहासिकगूर्जरकाव्यसंचय, जैनऐतिहासिक ग्रन्थमाला, पुष्प ७, भावनगर १९२६ ई०, परिशिष्ट, राससार, पृष्ठ ९५-१००. जैनऐतिहासिकगूर्जरकाव्यसंचय, पृष्ठ १८६-१९०. ४३. वही, पृष्ठ १९०-१९२. 44. Charlotte Krause, Ed. Ancient Jaina Hymms, Scindia Oriental Series, No. 2, Ujjain 1952, P-34. जैनऐतिहासिक गूर्जर.............,परिशिष्ट, पृष्ठ ९६. पट्टावलीसमुच्चय, भाग १, पृष्ठ ६८ और आगे. वही, भाग १, पृष्ठ १३४. वही, भाग १, पृष्ठ १४६. ४९. वही, भाग १, पृष्ठ १५७. ५०. वही, भाग १, पृष्ठ १७२. ५१. जैनस्तोत्रसंदोह, भाग २, पृष्ठ २१७-२२६. Ancient Jaina Hymms, P-38-42; 105-114. ५३. शालोटे क्राउझे, “श्रीहेमविमलसूरिकृत तेर काठीयानी सज्झाय" जैनसत्यप्रकाश, वर्ष १२, अंक ३, पृष्ठ ७३ और आगे. 54. Ancient Jaina Hymms, P-38. इन शाखाओं का इतिहास स्वतंत्र रूप से लिखा गया है जो इसी पुस्तक में यथास्थान प्रकाशित है। ५६. जैनस्तोत्रसंदोह, भाग २, पृष्ठ १०८-१२२. वही, पृष्ठ १११. Ancient Jaina Hymms, P-37. ५८. "लघुपौशालिक पट्टावली" जैनगूर्जरकविओ, भाग ९, पृष्ठ ८६; पट्टावलीपरागसंग्रह, पृष्ठ १८३. ५९-६०. “वीरवंशावली', विविधगच्छीयपट्टावलीसंग्रह, पृष्ठ २२०-२२१. धर्मसागर उपाध्यायकृत “तपागच्छपट्टावलीसूत्र" पट्टावलीसमुच्चय, भाग १, पृष्ठ ६९-७०; पट्टावलीपरागसंग्रह, पृष्ठ १५३५४. “गुरुपट्टावली", पट्टावलीसमुच्चय, भाग १, पृष्ठ १७२-१७३. “पट्टावलीसारोद्धार", वही, भाग १, पृष्ठ १५७-१५८. "सूरिपरम्परा", वही, भाग १, पृष्ठ १४६. ६१-६३. “पट्टावलीसारोद्धार' पट्टावलीसमुच्चय, भाग १, पृष्ठ १५८. ५५. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003611
Book TitleTapagaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2000
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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