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१८३९
१९४३ माघ सुदि ११ सोमवार
श्रीपूज्य विजयधर्मसूरि के पट्टधर श्रीपूज्य विजयजिनेन्द्रसूरि हुए। वि० सं० १८४३, १८४५, १८५४, १८७३, १८८० और १८८३ के विभिन्न प्रतिमालेखों में इनका नाम मिलता है। इनका विवरण इस प्रकार है:
१८४५ फाल्गुन सुदि ३ भृगुवार (शुक्रवार) डभोई
१८५४
१८५४ ज्येष्ठ सुदि १० पार्श्वनाथ
गुरुवार
पद्मप्रभस्वामी
की धातु की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
१८८०
आदिनाथ
की धातुप्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
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१८८३ माघ सुदि ५
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१८७३ ज्येष्ठ सुदि १४ केशरिया जी की
गुरुवार
पादुका पर उत्कीर्ण लेख
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की धातु की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
१८८० मार्गशीर्ष सुदि ५ पद्मप्रभ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
गुरुवार
२०९
सहस्रफणा
पार्श्वनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
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मल्लिनाथ की पाषाण की
प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
जैन मंदिर,
जैनमंदिर,
ईडर
नाकोड़ा तीर्थ
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पद्मप्रभ का
मंदिर,
पन्नीबाई का उपाश्रय, बीकानेर
वही, भाग, लेखांक २१
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जैनधातुप्रतिमालेख परिशिष्ट, पृष्ठ १२
जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, भाग १, लेखांक २२
वही, भाग १,
लेखांक १३९९
वही, भाग १, लेखांक १४००
वही, भाग १, लेखांक १४५९
नाकोड़ापार्श्वनाथतीर्थ लेखांक १०८
वही, लेखांक १०९
एवं
चम्पालाल सालेचा, संपा०
बाड़मेर जिले के प्राचीन जैन शिलालेख, लेखांक ४७४
बीकानेरजैनलेखसंग्रह लेखांक १८५७
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