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________________ १९९ Jain Education International आचार्य विजयदेवसूरि ने विजयसिंहसूरि को अपना पट्टधर नियुक्त किया था। ऐतिहासिकसज्झायमाला से इनके बारे में विस्तृत विवरण प्राप्त होता है। पट्टावलियों में इनके जन्म, दीक्षा, आचार्य पद और मृत्यु के बारे में सूचनायें प्राप्त होती हैं जिन्हें एक तालिका के रूप में निम्न प्रकार से रखा जा सकता है : पट्टावली का नाम संदर्भग्रन्थ रचनाकार का नाम जन्मतिथि दीक्षा काल वाचक पद आचार्य पद प्राप्ति मृत्यु का का काल काल १६५४ १६७२ १६८१ १७०८ पट्टावलीसमुच्चय, भाग १, पृष्ठ ९६. For Private & Personal Use Only १६५४ १६७३ १६८२ १. तपागच्छपट्टावलीसूत्र उपाध्याय मेघविजय १६४४ वृत्तिनुसंधानम् (रचनाकाल वि० सं० १७३२ २. पट्टावलीसारोद्धार रविवर्धन १६४४ (रचनाकाल वि०सं० १७३९ के आसपास ३. श्रीगुरु पट्टावली अज्ञात १६४४ १७०९ वही, भाग १, आषाढ़ सुदि पृष्ठ १६१ २शनिवार १६८१ १७०८ वही, भाग १, पृष्ठ १७५. www.jainelibrary.org
SR No.003611
Book TitleTapagaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2000
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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