________________
२४२
सूत्रकृतांग सूत्र
इसके पश्चात् जल में उत्पन्न होने वाली वनस्पतियों का वर्णन किया गया है। जिनमें कमल, तामरस, शतपत्र, सहस्रपत्र आदि कमल के ही जाति विशेष हैं । परन्तु अवक, पनक (काई), शैवाल आदि अन्य जाति की वनस्पतियाँ हैं । इनका रूप-रंग, आकार-प्रकार आदि एवं व्यावहारिक नाम लोक व्यवहार से जान लेने चाहिए। बाकी का सब वर्णन पूर्ववत् समझ लेना चाहिए।
मूल पाठ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता तेसिं चेव पुढवीजोणिएहि रुखेहि रुक्खजोणिएहि रुक्खेहि रुक्खजोणिएहि मूलेहिं जाव बीएहिं रुक्खजोणिएहिं अज्झारोहेहि, अज्झारोहजोणिएहि अज्झारुहेहिं अज्झारोहजोणिएहि मूलेहि जाव बीहि पुढविजोणिएहि तहिं तणजोणिएहि तहिं तणजोणिएहिं मूलेहिं जाव बीएहि एवं ओसहीहिवि तिन्नि आलावगा एवं हरिएहिवि तिन्नि आलावगा, पुढविजोणिएहिवि आएहि काहिं जाव कूरेहि उदगजोणिएहिं रुक्खेहि रुक्खजोणिएहिं रुक्षेहि रुक्खजोणिएहि मलेहिं जाव बीएहिं एवं अज्झारुहेहिवि तिण्णि तर्णाहपि तिण्णि आलावगा, ओसहोहिपि तिण्णि हरिएहिपि तिण्णि, उदगजोणिएहि उदएहिं अवएहिं जाव पुक्खलच्छिभएहि तसपाणत्ताए विउटैति । ते जीवा तेसिं पुढवीजोणियाणं उदगजोणियाणं रूक्खजोणियाणं अज्झारोहजोणियाणं तणजोणियाणं ओसहीजोणियाणं हरियजोणियाणं रुक्खाणं अज्झारहाणं तणाणं ओसहीणं हरियाणं मूलाणं जाव बीयाणं आयाणं कायाणं जाव कुरवा(कूरा)णं उदगाणं अवगाणं जाव पुक्खलच्छिभगाणं सिणेहमाहारेति। ते जीवा आहारेति पुढवीसरीरं जाव संतं, अवरेऽवि य णं तेसि रुक्खजोणियाणं अज्झारोहजोणियाण तणजोणियाणं ओसहिजोणियाणं हरियजोणियाण मूलजोणियाणं कंदजोणियाणं जाव बीयजोणियाणं आयजोणियाणं कायजोणियाणं जाव कूरजोणियाणं उदगजोणि. याणं अवगजोणियाणं जाव पुक्खलच्छिभगजोणियाणं तसपाणाणं सरोरा णाणावण्णा जावमक्खायं ॥ सू० ५५ ॥
___ संस्कृत छाया अथाऽपरं पुराख्यातम्-इहैकतये सत्त्वाः तेष्वेव पृथिवीयोनिकेषु वृक्षेषु वृक्षयोनिकेषु वृक्षेषु वृक्षयोनिकेषु मूलेषु यावद् बीजेषु वृक्षयोनिकेष्वाध्यरुहेषु अध्यारुहयोनिकेषु अध्यारुहेषु अध्यारुहयोनिकेषु मूलेषु यावद् बीजेषु पृथिवीयोनिकेष तृणेषु तृणयोनिकेषु तृणेषु तृणयोनिकेषु मूलेषु यावद् बीजेषु,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org