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प्रकाशन में सहयोग देने वाले दानी सज्जनों ने शास्त्र सेवा के पुण्यकार्य में दिल खोलकर सहयोग दिया है । हम उनको संस्था की तरफ से हार्दिक धन्यवाद देते हैं । साथ ही सुप्रसिद्ध साहित्यसेवी श्रीचन्दजी सुराना ने इस गंभीर आगम ग्रन्थ का सुन्दर व शुद्ध मुद्रण आदि कार्य सम्पन्नकर हमें उत्साहित किया है, हम उनके सहयोग को भी सदा स्मरण रखेंगे ।
आशा है हमारी संस्था का यह प्रथम पुष्प पाठकों के लिए उपयोगी व उपकारी सिद्ध होगा ।
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मंत्री
हाकमचन्द जैन आत्म ज्ञान पीठ, मानसामंडी
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