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________________ समो उहेसो ६५५ पाणस्स | बितियाए कप्पइ तेरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, तेरस पाणस्स । ततियाए कप्पइ बारस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेतए, वारस पाणस्स । चउत्थीए कप्पइ एक्कारस दत्तीओ भोयणस्स पडिग्गाहेत्तए, एक्कारस पाणस्स | पंचमीए कप्पड़ दस दत्तीओ भोयणस्स पडिग्गाहेत्तए, दस पाणस्स । छट्टीए कप्पइ नव दत्तीओ भोयणस्स पडिग्गाहेत्तर, नव पाणस्स । सत्तमीए कप्पइ अट्ठ दत्तीओ भोयणस्स पडिम्गात्तए, अट्ठ पाणस्स । अट्ठमीए कप्पइ सत्त दत्तीओ भोयणस्स डिग्गाहेत्तर, सत्त पाणस्स । नवमीए कप्पइ छ दत्तीओ भोयणस्स पडिग्गाहेत्तए, छ प्राणस्स | दसमीए कप्पइ पंच दत्तीओ भोयणस्स डिग्गाहेत, पंच पाणस्स । एक्कारसीए कप्पइ चउ दत्तीओ भोयणस्स पडिग्गाहेत्तए, चउ पाणस्स । बारसोए कप्पइतिष्णि दत्तीओ भोयणस्स पडिग्गाहेत्तए, तिष्णि पाणस्स । तेरसीए कप्पइ दोणि दत्तीओ भोयणस्स पडिग्गाहेत्तए, दोणि पाणस्स | चउदसीए कप्पड़ एगा दत्ती भोयणस्स पडिगाहेत्तए, एगा पाणस्स । अमावासाए से य अभत्तट्ठे भवइ । एवं खलु एसा जवमज्भचंदपडिमा अहासुत्तं अहाकप्पं अहामगं अहातच्चं सम्म कारण फासिया पालिया सोहिया तोरिया किट्टिया आणाए अणुपालिया भवइ ॥ ४. वइरमज्झणं' चंदपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स मासं निच्च वोसदुकाए चत्तदेहे ' जे केइ उवसग्गा उप्पज्जेति तं जहा - दिव्वा वा माणुसा वा तिरिक्खजोणिया वा अणुलोमा वा पडिलोमा वा तत्थ अणुलोमा ताव वंदेज्जा वा नमसेज्जा वा सक्का रेज्जा वा सम्माणेज्जा वा कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासेज्जा, नत्थ पडिलोमा अष्णयरेण दंडेण वा, अट्ठीण वा, जोत्तेण वा, वेत्तेण वा, कसेण वा, काए आउडेज्जा -- ते सव्वे उप्पन्ने सम्मं सहेज्जा खमेज्जा तितिक्खेज्जा अहियासेज्जा | ५. वइरमज्झण्णं' चंदप डिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स 'बहुलपक्खस्स पाडिवए कपड़ पण्णरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, पण्णरस पाणस्स | बितियाए से कपइ चउस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, चउद्दस पाणस्स । तइयाए कप्पइ तेरस दत्तीओ भोयणस्स पडिग्गाहेत्तए, तेरस पाणस्स । एवं एगुत्तरियाए हाणीए जाव १. पाणस्स जाव नो आहारेज्जा ( ख ) : चतुर्दशी दत्तिपर्यन्तं एष एव पाठस्तत्र दृश्यते । २. 'क, ता' प्रत्योरेतत् सूत्रं नोल्लिखितं । 'ग' प्रती शुब्रिगसम्पादिते प्रस्तुतसूत्रसंस्करणे च 'वइरमज्झचं दपडिमा प्रतिपादकं सूत्रद्वयमपि नैव दृश्यते । ३. x (ख, जी ) ४. चियत्तदेहे ( ख ) 1 Jain Education International ५. 'ख' प्रतौ एतत् सूत्रं यवमध्यचन्द्रप्रतिमासूत्रवत् विस्तृतमस्ति । ६. 'क, ता' संकेतितादर्शयोः चिन्हाङ्कितपाठस्य स्थाने एवं पाठभेदोस्ति - कप्पड़ बहुलपक्खपाडवयंसि पण्णरस दत्तीओ भोयणस्स पण्णरस्स दत्तीओ पाणयस्स पडिग्गाहेत्तए अन्नायउच्छं जान पडिग्गहिया एसणाए दलएज्जा एवं से डिग्गात्तए । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003587
Book TitleAgam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Vavaharo Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages68
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vyavahara
File Size2 MB
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