SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ छट्ठो उद्देसो सयणगिह-गमणविहि-पदं १. भिक्खू य' इच्छेज्जा नार्यावहिं एत्तए, नो से कप्पइ' थेरे अणापुच्छित्ता नायविहि एत्तएँ, कप्पइ से थेरे आपुच्छित्ता नायविहिं एत्तए। थेरा य से वियरेज्जा, एवं से कप्पइ नायविहिं एत्तए। थेरा य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ नायविहिं एत्तए । जं तत्थ थेरेहिं अविइण्णे नायविहिं एइ, से संतरा छेए वा परिहारे वा। नो से कप्पइ अप्पसुयस्स अप्पागमस्स एमाणियस्स नायविहिं एत्तए। कप्पइ से जे तत्थ बहुस्सुए बब्भागमे तेण सद्धि नायविहिं एत्तए । 'तत्थ से" पुव्वागमणेणं पुवाउत्ते चाउलोदणे, पच्छाउत्ते भिलिंगसूवे, कप्पइ से चाउलोदणे पडिग्गाहेत्तए, नो से कप्पइ भिलिंगसूवे पडिग्गाहेत्तए। 'तत्थ से" पुव्वागमणेणं पुव्वाउत्ते भिलिंगसूवे, पच्छाउत्ते चाउलोदणे, कप्पइ से भिलिंगसूवे पडिग्गाहेत्तए, नो से कप्पइ चाउलोदणे पडिग्गाहेत्तए। तत्थ से पुवागमणेणं दो वि पुवाउत्ते कप्पइ से दो वि पडिग्गाहेत्तए। १. ४ (क, ता)। २. दशाश्रुतस्कन्ध (६।१८) सूत्रे 'नायवीथि' इति पाठोस्ति । 'जी' संकेतितादर्श 'नायविह' इति पाठो मुद्रितोस्ति । 'विह' शब्दो वीथ्यर्थवाचक एव देश्याम् । मलयगिरिवृत्ती "विधिः' इति पदं व्याख्यातमस्ति, आदर्शष्वपि एतदेव पदं दृश्यते । इदमपि 'वीथि' वाचकमेव स्याद । ३. 'क, ता' संकेतितादर्शयोः 'एत्तए' इति पर्यन्तं स्वीकृतपाठात् पाठविपर्ययो दृश्यते---नो से कप्पइ अप्पसुयस्स अप्पागमस्स णायविहिं एत्तए, कप्पति से बहसुयस्स बब्भागमस्स, कप्पइ से बहसुएण सद्धि णातविहिं एत्तए। णो से कप्पइ थेरे अणापुच्छित्ता णातविहिं एत्तए, कप्पति से थेरे आपुच्छित्ता णातविहिं एतए । थेरा य से वितरंति एवं से कप्पति णायविहि एत्तए, थेरा से णो वितरंति एवं से जो कप्पति णायविहिं एत्तए। ४. अतोग्रे 'ग' प्रतौ वृत्तौ च 'जाव जं तत्थ' इति पाठसंक्षेपो दृश्यते।। ५,६. तस्मय (क, ता) सर्वत्र । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003587
Book TitleAgam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Vavaharo Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages68
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vyavahara
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy