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उत्तरज्झयणाणि
२३ रूवस्स चक्खु गहणं त्रयंति चक्खुस्स रूवं गहणं वयंति । रागस्स हेउं समगुण्णमाहु दोसस्स हे अमणुण्णमाहु ॥ २४. रूवेसु जो गिद्धिमुवेइ तिव्वं' अकालियं पावइ से विणास * । रागाउरे से जह वा पयंगे आलोयलोले समुवेड़ मच्चुं ॥ २५. जे यावि दोसं समुवेइ तिव्वं तंसि क्खणे से उ 'उवेइ दुक्खं" । दुर्द्दनदोसेण सएण जंतू न किंचि ख्वं अवरज्झई से | २६. एगंतरत्ते रुइरंसि रूवे अतालिसे से कुणई पओसं । दुवखस्स संपीलमुवेइ वाले न लिप्पई तेण मृणी विरागो ।। २७. रूवाणुगासागए य जीवे चराचरे हसणे । चित्तहि ते परितावेइ बाले पीलेइ अट्टगुरू किलिठे ॥ २८. रूवाणुवारण परिग्गहेण उप्पायणे aणसन्निओगे" । ae विओगे य कहि सुहं से ? संभोगकाले य अतित्तिलाभे" ॥ २६. रूवे अतिते य परिग्गद्दे य सत्तोवसत्तो न उवेइ अतुट्ठदोसे दुही परस्स लोभाविले आययई ३०. तहाभिभूयस्स अदत्तहारिणो रूवे अतित्तस्स परिग्गहे य | मायामुस वड्ढइ लोभदोसा तत्थावि दुक्खा न विमुच्चई से ॥ ३१. मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य पयोगकाले यदुही दुरंते ।
पट्टचित्तोय" चिणाइ कम्मं जं से पुणो ३४. रूवे विरत्तो मणुओ विसोगो एएण न लिप्पए भवमज्भे वि संतो ३५. सोयस्स सद्द गहणं वयंति तं दोस
एवं अदत्ताणि समाययंतो रूवे अतित्तो दुहिओ अणिस्सो | ३२. रूवाणुरत्तस्स नरस्स एवं कत्तो सुहं होज्ज कयाइ किंचि ? | तत्थोवभोगे वि किलेसदुक्खं निव्वत्तई जस्स कएण दुक्खं ॥ ३३. एमेव रूवम्मि गओ पओस उवेइ दुक्खोहपरंपराओ | होइ दुहं विवागे | दुक्खोहपरंपरेण । जलेण वा पोक्खरिणीपलासं ॥ तं रागहेउं तु मणुण्णमाह । अणुष्णमाहु समो य जो तेसु स वीयरागी ॥ गहणं वयंति सोयस्स सह गहणं वयंति । समणुष्णमाहु दोसस्स हेउ
अमणुण्णमाहु ||
३६. सद्दस्स सोयं रागस्स हेउ
१. तमणुष्णमाहु ( बृपा) 1 २. तमणुष्णमाहु ( बृपा) ।
३. निच्च ( अ ) ।
४. किलेस (बृपा) ।
५. निच्वं ( अ, बृ) ।
६. समुर्वेति सव्वं (बृपा ) 1 ७. रुसो (म) ।
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तुट्ठि | अदत्तं ॥
5. वाया गए (सुपा, बृपा)
६. हिंसइ + अगरूचे = हिसइणेगरूवे 1
१०. वाय ( अ ) ;
(सुवा, वृपा ) ! ११. तन्निओगे ( उ ) 1
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बाए ण (सु); रागेण
१२. अतित्त' (वृ); अतित्ति ( बृपा ) |
१३. उ ( अ ) ।
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