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________________ रायहाणी-रुहिर १०२७ रायहाणी (राजधानी) प ११७४ ज १११६,४५, ७१७८ ४६,५१, २।२२,६५, ३१,२,७,८,१४,१७२. द (दे०) ज ७४३२१ १७३,१८०,१८२ से १८५,१६१,१६२,२०४, रुक्ख (रूक्ष) प १।३३।१,११३४,३६,४७१; २०८,२०६,२१२,२२०,२२१,२२४;४।५२, १७।१११ ज १२०,३१,१३१,१४४ से १४६) ५३,६०,८४,६६,१०६,११४ से ११७,१५६, ३१३२,१०६,१२६ उ ५।५ १६०,१६३ से १६५,१७४,१७५,१७७ १८०, रुक्खगहालय (रूक्षगेहालय) ज २।१६,२१ १८१,१६२,२००,२०२,२०४,२०६,२०७, रुक्खमूल (रूक्षमूल) प ११४८६१ ज १८,६ २०८,२१०,२१२,२२६ से २३३,२३७ से रुक्खबहुल (रूक्षबहुल) ज २१८ २३६,२६३,२६६,२६६.२७२,२७५,५१५०; रुक्खमूलिय (रूक्षमूलिक) उ ३३५० ६.१६,७१८४,१८५ उ ३३१०१ रु (रुष्ट) ज ३।२६,३६,४७,१०७,१०६,१३३ रायाभिसेय (राज्याभिषेक) ज १८५,३११८८, उ ११२२,१४० २०६,२१२,२१४ उ ११६५,६८,७२ रुद्द (रुद्र) ज ७१३०,१८६।३ रायारिह (राजाह) ज ३१८१ रुद्ददेवया (रुद्रदेवता) सु १०।८३ रालग (रालक) प ११४५१२ ज २।३७,३।११६ रुप्प (रूप्य) प ११२०१ ज ३.१६७/८ उ ३।४० दक्षिण भारत के जंगलों में मिलने वाला एक रुप्पकला (रूप्यकला) ज ४१२६८,२६६।१,२७२, सदावहार पेड़ ६२० राव (रावय्) राति ज ५।५७ रुप्पपट्ट (रूप्यपट्ट) ज ४।२६,२७० रावेत (रावयत्) ज ३११७८ रुप्पमणिमय (रूप्यमणिमय) ज ५१५५ रासि (राशि) प २१६४११६,१२१३२१७४१२६ रुप्पमय (रूप्यमय) ज ४२६,५१५५ राहु (राहु) प २।४८ सू २०१२,८,२०1८।४ रुप्पामय (रूप्यमय) ज ३।२०६४।२७० राहुकम्म (राहुकर्म) सू २०१२ रुप्पि (रुक्मिन्) प १६॥३० ज ४।२६५,२६८, राहुदेव (राहुदेव) सू २०१२ २६६१,२७०,२७१ सू २०१८,२०८१३ राहुविमाण (राहुविमान) सू १६।२२३१७२०१२ । रुप्पिणी (रुक्मिणी) उ ५।१० रिउम्य (ऋजुर्वेद) उ ३१२८ रुप्पोभास (रूप्यावभास) सू २०१८ रिक्ख (ऋक्ष) ज ३१६,१७,२१,३४,१७७,२२२ रुयग (रुचक) प २१३१ ज ११२३,२।१५,३।३२; सू ११३७, १६।२२२६ ४११,६२,८६,२३८; १८ से १७ सू १९३५ रिगिसिगि (दे०) ज ३।३१ वाद्य विशेष रुयगकूड (रुचककूट) ज ४१६६,२३६ रिठ्ठ (रिष्ट) ज ३१६२,५।५,७,२१ रुयगवर (रुचकवर) सू १९३५ रिठ्ठपुरा (रिष्टपुरा) ज ४१२००१ रुयगवरोद (रुचकवरोद) म १९३५ रिट्ठा (रिष्टा) ज ४१२००१ रुयगवरोभास (रुचकवरावभास) सू १६।३५ रिट्ठामय (रिष्टमय) ज ४।७,२६ रुयय (रुचक) ११।२०।३ सू' १६३२ से ३४ रिद्ध (ऋद्ध) ज श२,२६,३।१ च ६ सु १११ रुरु (रुरु) प ११४८१२ ज ११३७,२६३५,१०१, उ ११,६,२८,३३१५७,५।२४ ४२७५२८ रिसह (नाभ) ज ७/१२२।३ सु १०1८४१३ रुहिर (रुधिर) प १२० से २७ ज ३१३१ रुइल (रुचिर) प २।४८ ज २११५:३।३५:४।४६ उ ११४४ से ४६ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003579
Book TitleAgam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages394
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vrushnidasha
File Size7 MB
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