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________________ गोयम- घणघणाइय ४५ से ५१,२११ से ४,७,१४, १५, १७ से २३, २५,४२,४४ से ४८, ५०, ५२, ५६ से ५८, १२२,१२३,१२७,१२८,१३१ से १३७,१३६, १४७, १५०,१५१.१५६,१५७,१५६,१६१, १६४:३११,६८,२२६,४१,२२,३४,४४,४५, ४८,५१, ५२, ५४ से १७.६० से ६२,६४,७६, मे २,८४,८६,६ से ८, १०० से १०३,१०५ से ११०, ११३, ११४,१४१, १४३, १५ से १६७१६६ से १७८, १५० से १८२, १८४,१८५, १८७, १८८, १६० से १९४,१६६, १६७,१६६,२००,२०२ से २१०,२१२ से २१४,२२५,२२६.२३४,२३६,२३७,२३६, २४१,२४५,२४६,२५१ से २७७,६१२,४,७ से २६,७/१ से ३३ से ४८, ५२ से ४७, ५६ से १०८,१११ से १४४, १४७, १४८, १५०,१५४ से १६७,१७० से १७८, १८० से १८५,१८७,१६७ से १६६,२०१ से २१३, चं १० सू० ११५१०११०२ उ ११२५,२६,२८, १४०,१४१,२।१२.१३,३५,६,१६ से १८, २६,२७,८५,८६,६३,६५,१२२ से १२५,१५२, १५७,१६३ से १६५,४१६,२५,२६ गोयम (गोतम ) ज ७ १३२१२ गोयर ( गोचर ) ज २१३२ गोर (गौर) प २१४०८, २१४६ ज ११५ गोरखखर ( गौरखर ) प १।६३ गदर्भ की एक जाति गोलगोलच्छाया (गोलगोलच्छाया) सू ६५ गोलच्छाया (गोलच्छाया ) सू ६१४,५ गोलपुंजच्छाया (गोलपुच्छाया ) सू ६१५ गोलवट्टसमुग्गय ( गालवृत्तममुद्ग ) २।१२० ७।१८५ गोलव्वायण (गोलव्यायन) ज ७।१३२|४ मू १०।११५ गोलावलिच्छाया (बोलावलिच्छाया ) सू ६५ गोलोम (गोलोमन् ) १ ११४६ गोवग ( गोपक) ज ३१३५ Jain Education International गोवल्ल (गोवल ) ज ७।१३२१३ गोवल्लायण (गोवलायन ) सू १०३१०९ गोवल्ली (दे० ) प ११४०१४ गोसीस (गोशीपं ) प २३०,३१,४१ ज २६५, १६,६६,१०० ३१७,६,१२,८२,८८, १३३, १८४,२११,२२२; ५।१४ से १६,५५, ५८ गोसीसावलि (गोशीर्षावलि) ज ७ । १३३।१ गोसीसावलिसठिय (गोशीर्षावलिसंस्थित) सु १०।२७ गोहा (गोधा ) प १७६ गोहूम (गोधूम ) ज २ ३७:३।११६ ८६७ घ (घृतोदक) प १।२३ १३७८३१३५, १७८४१३०; ५।२२ से २६,२८,४८ से ५३७ १७८ घओ घंटा ( घण्टा ) उ १।१३८, ३३७, ६१ घंटिया ( घण्टिका) ज २६४७११७८ घंटियाजाल ( घण्टिकाजाल ) ज ३२४, ३०,१०६; ५।२६ घट्टया (घट्टता ) प १६१५३ घट्ट (घृष्ट ) प २३०, ३१, ४१, ४६,५६,६३,६४ ज ११८,२३, ३१ सू २०१७ घड (घट) प २१३०, ३१, ४१ ज ३७४१२३,३८, ६५,७३, ६०, ६१ √ घड (घटय् ) घडेंति ज ५११६ घडावेता (घटयित्वा ) उ३१५० घडिया ( घटिका ) ज ४११२६ घडेत्ता (घटयित्वा ) ज ५।१६ घन (घन ) प २४८१३८, २१३०, ३१, ४१, ४६: १२।१२,३८ ज ११२४,४५, ६५, ३२३, २४, ८२, १६७,१८५, १८७,२०६,२१८,२२४; ४११२५,५११, ५, १६, ५७, ६२, ७५५, ५८, १७८,१८४ सू १८/२३; १६।२३,२६ घणघण ( घनघन ) ज २१६५ घणघणाय ( घनघनायित ) ० ५१५७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003579
Book TitleAgam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages394
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vrushnidasha
File Size7 MB
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