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________________ ०८ छप्पय ( षट्पद) ज २।१२ छन्भंग ( षट्भङ्ग ) प २८ ।११६, १२३, १२५, १३३, १३६,१४३ से १४५ भाग ( षभाग ) प २१६४ ज १२१८६०३२।१ छमास ( पण्मास ) सू १ १६ छम्मास ( पण्मास ) ज २२४६, ७।२३, २५, २८, ३०, ५७,६०१२१३,१४,१७,२१,२४,२७२ ३; ६११,१६।२५,२७ छम्मासावसेसाउय (छण्मासावशेषायुष्क ) प ६।११४ छल (षष्) ज ७ २०१ १२।१२ छलंस ( षडस्र ) ज ३१६२,११६ छलसीय ( षडशीति) ज ४/४५, ७।३१ सू ४/४; १५।२६ छल्ली ( छल्ली ) प ११४८ ३० से ३७,६३ छवि (छवि) ज २११६,३६,४१,१३३३/१०६ छविच्छेय (छविच्छेद) ज २१३६, ४१ छविधर ( छविवर ) ज ७ १७८ छविहर ( छविधर) ज ७११७८ छविध ( षड्विध ) प ६३११८ छविय (दे० ) प ११६७ कट आदि बनाने वाला छविह ( षड्विध ) प ११९१,६४,६५,६ ११६; १३।६; १५ ३५,७०,२१२६,३१,३२,३४,३६; २२१८३, ८४, ८६, २३१४५,४६, २४१२, ४, ८, १० से १२:२६ २, ४, ६, ८ से १०:२११६; ३०१२ ज २२,३, ५०, ५८, १२३, १२८, १४८, १५१,१५७, १६४,४११०१,१७१ छब्बीस ( पविशति ) प २।२३ ज ७।१०८ सू १।२१ छाउद्देस ( छायोद्देश) सू २ छाउमत्थिय (छाद्मस्थिक ) प ३६।५३ से ५६,५८ छाणविच्छु (छगणवृश्चिक ) प १।५१ छायच्छाय ( छायाछाया ) सू २४ छाया (छाया) प २।३०,३१,४१,४६; १६१४८ ज ११८,२३,३१,२।१६,२०,१४६; ३३,११७१ १२७५/३२७।१५६ से १६७।१ सू ६३४; Jain Education International १०१६३ से ७४ १६५,६ छायागति ( छायामति ) प १६३८, ४७ छप्पय छेत्तुं छायामाणसाण ( छायानुमानप्रमाण ) सू ३ छायाणवादिणी ( छायानुवादिनी) सू ६४ छायावायत ( छायानुपातमति ) प १६३८,४८ छायाल] ( षट्चत्वारिंशत् ) प २।४०।४ ज ४८६ छायालीस (पट्चत्वारिंशत् ) सू १४।७ छायादिकंप ( छायाविकम्प ) सू ६१४ छारियभूय ( क्षारिकभूत ) ज २११३२,१४१ छावट्ठ ( पट्पष्टि ) ज ७।२७ छावट्ठि ( पट्पष्टि ) प १८७६११२० सू १।११,१२१३ छावत्तर ( षट्सप्तति) ज ७११ सू१६११११, ११३ छावतार ( षट्सप्तति ) प २२४०१२ छिंद (छिद्) छिदंति ज ५५७ छिमि १८८ हिज्ज (छेद्य) ३।११४ छिष्ण (छिन्न) ज ८८८६३१२२५ छिण्णरुहा (छिन्नरुहा) १ ११४८१३ गुडूची छिद्द ( छिद्र ) प २११० उ १।६५,६६,१०५ छिण्णलेसा (छिन्न लेश्या) सू 1१ छिन्नसोय (छिन्नस्रोतस छिन्नशोक ) ज २२६८ छिप्पर ( क्षिप्रतूर्य ) उ १।१३८ छिपा (दे०) ज २।६७ छीइत्ता ( क्षुत्वा ) ज ४६ छोरविरालिया (क्षीरविडालिका ) प १७६ छोरविराली (क्षीरविदारी ) प ११४० ४; ११४८२ सफेद और अधिक दूध वाली विदारी छुरघरगठिया (क्षुरगृहकसंस्थित) सू १०1३६ छुरघरय (क्षुरगृहक) ज ७११३३|१ छुहा ( क्षुधा ) प २२६४।१६ छेत्ता ( छित्त्वा ) उ ३११५०५१२८, ४१ छेज्ज (छेद्य) ज ३१३२ छेत्ता ( छित्त्वा ) ज ७२२ सू १।१६ छेत्तुं (छेत्तुम् ) २२६६।१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003578
Book TitleAgam 22 Upang 11 Pushpachulika Sutra Puffachuliyao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pushpachulika
File Size7 MB
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