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________________ ८२४ अण्णत्थ-अस्थि अण्णत्थ (अन्यत्र) प ११।११ से २०,४६ र १।१४, अतिवतित्ताणं (अतिव्रज्य) प २८।१०५ ; ३४।१६ - १७,१०११३६; २०१७ अतिसीत (अतिशीत) सू १०११२६।१ अण्णमण्ण (अन्योन्य) प१६।३६,४२ ज २।३६, अतिहि (अतिथि) उ ३१४८,५०,५१ ४१,१४६,३।१०५,१०७,११३ से १३८; अति (अति-!-इ) अतीति ज ३।६३,६५ ५१३,२७,३८ सू १११८ से २१ उ ११४७,६८, अतीत (अतीत) प १५१८३,८४,८६ से ६७,६६ १३८,१३६ से १०१,१०३ से १०६,१०६,११०,११२ अण्णयर (अन्यतर) प २२१६१ से ६५:२३।१६१ से ११७,११६,१२०,१२२,१२३,१२५ १६२ ज २६६ में १३२,१३५,१३६,१४०,१४१,१४३, ३६१८ अण्णया (अन्यदा) ज ३।४,८३,१०४,१३०,१५४, से २६,३० से ३४,४४, से ४७ १७२,१८८,२२२ उ १११४; १८, ३१४६; अतीय (अतीत) प १५१०८,११८,३६१३४ ४।२१:५।१३ अतीव (अतीव) ज ५।३८ अण्णलिंगसिद्ध (अन्यलिङ्गसिद्ध ) प ११२ अतुरिय (अत्वरित) ज ५१५,७ अण्णहा (अन्यथा) प ११०११३,५ उ १।१०६ ___ अतुल (अतुल) प २१६४।२० अण्णाण (अज्ञान) प ५१२४,२८,३०,३२,३४,३७, अत्त (आत्मन) प १५१५० ज ३।२२२ उ ३८३, ४३,४५,४६,५३,५६,६८,७१,७४,८०,८३,८४ १२०, १५०५२८,४३ ८६,८७,८६,६७,६६,१०१,१०२,१०४,१०५, अत्तय (आत्मज) उ १२१०,३१,६५,१०६,११०, १०७,११७ ११३,११४, २६ अण्णाणपरिणाम (अज्ञानपरिणाम) प १३।१४,१६ । अत्तया (आत्मजा) उ ४ाह १७,१६, अत्थ (अत्र) ज ४१४२,३ सू ।१ उ ३.१५१ अण्णाणि (अज्ञानिन्) प११७४,८४,५२६४,१८।८३ अत्थ (अर्थ) ज ५।२६ चं ११३ म २०१७ उ ३.४० २३१२००,२८११३७ अत्थ (अस्त्र) ज ३१७७,१०६ अण्णाणुपुवी (अनानुपूर्वी) प २८.१८,६४ स २६ अत्थओ (अर्थतस्) प १११०१८ अण्णोष्ण (अन्योन्य) प २१६४११० ज ७५८ अत्थजुत्त (अर्थयुक्त) ज ५१५८ सू १६।२६ अत्थणिउर (अर्थनिकुर) ज २।२४ अण्हाणय (अस्नानक) उ ५१४३ अस्थणिउरंग (अर्थनिकुराङ्ग) ज २०४ अतसी (अतसी) प १६३७१२ अत्यस्थि (अर्थाथिन ) सू २०१७ अतिक्कम (अतिक्रम) ज २११३३ अत्यस्थिय (अर्थाथिक) जे ३।१८५ अतितेया (अतितेजा) सू १०८८२ अस्थमंत (अस्तवत् ) ज ३.१६ अतित्थगरसिद्ध ((अतीथंकरसिद्ध) प ११२ अस्थमण (अस्तमयन) ज ७।३६ से ३८ च ४११ अतिथसिद्ध (अतीर्थ सिद्ध) प११२ गू श८।१२।३६।२ अतिदूर (अतिदूर) ज ११६ अत्थसत्य (अर्थशास्त्र) उ ११३१ अतिभाग (अतिभाग) सू ४।८ अत्यसिद्ध (अर्थ गिड) ज १११२ सू १०८६।२ अतिमास (अतिमास) सू १५१३७ अत्थाम (अस्थामन्) ज ३।१११ अतिराउल (दे०) प ११:१४,१६ अस्थि (अस्ति) प १७५२१६४।१४,५८०, अतिरेग (अतिरेक) ज ३१३५,२११; ५१५८ १९६११०,१२।६; १५१४५,४७ मे ४६, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003578
Book TitleAgam 22 Upang 11 Pushpachulika Sutra Puffachuliyao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pushpachulika
File Size7 MB
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