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________________ इत्थीलिंगसिद्ध उउ ईसर ( ईश्वर ) प २/४७२; १६६४१ ज २१२५; ३११२६।३५।१६ उ ११६२५|१० ईसर ( ऐश्वयं) ज ११४५, ३११०,१८५, २०६,२२१ ईसाण ( ईशान ) प १३१३५, २४६,५१,५३,६३; इत्थीलिंग सिद्ध (स्त्रीलिंगसिद्ध ) प १।१२ इत्थवेदग (स्त्रीवेदक ) प ३६७१३।१८ इम ( इभ्य ) प १६ ४१ ज २२२५, ३११०,८६, १७८,१६,१८८, २०६,२१०,२१६,२१६, २२१ उ १/६२,३१११,१०१,५३१० इन्भजाति ( इभ्यजाति ) प १६४११ इम (इदम्) प १२४८ सू ११५१११५२राह इय (इति) प २६४|१८ ज १७ सू ११६ इयर (इतर) प २१/३५ ३१३०,१८३४।२२५ से २३६६।२८,५६,६५, ८५,१११,१५ १३८ २०१६० २८।७६, ३४।१६, १८ ज २९१ से ६३, ११३, ११६,४।१७२, २००,२२१,२२४)१, २३५, २४०, २४२, २४३; ५४८,५६,६०,७११२२/१ सू १०२८४।१ उ २१२०, २२,५१४१ ईसापवास (ईशानकल्पवासिन् ) प २१५१ ईसाग ( ईशानज ) प २१५१६६५७६; १५८७; २११७०, ६०, ३३ १६ ज ५२४६ इयाणि ( इदानीम् ) सू १६१२४ उ ३१५५ इरियावहियबंध ( ईर्यापथिकबन्धक) १ २३६३ इरिया व हिय बंधय (ईर्यापथिकबन्धक ) प २३|१७६ इरियासमिय ( ईर्यासमित) उ २२६, ३१३,६६, इलादेवी ( इलादेवी ) ५१०११ ४।२।१ इलादेवीकूड ( इलादेवीकूट ) ४/४४, २७५ इब (इव ) प २।४८ उ ३११२८ १०२,११३,११५,१३२,१४६,४१२२,५१३८,४३ ईसाणवडेंसग (ईशानावतंसक ) प २२५५, ५७ ईसावर्डेस ( ईशानावतंसक ) प २०५१ ईसि ( ईषत् ) प २३१, ६४; १७ १३४; २३ १६५ ज ३११०६, १७८, ४१५४, ५१५,२१,३८,५८ ७१७८ इसि (ऋषि) प २२४७/२ ज ३।१०६ उ १२० इसिपाल ( ऋषिपाल ) प २२४७२ इसिवाय ( ऋषिवादिक) प २०४१ २/४७।१ इसीपारा ( ईषत्प्राग्भारा ) प २११२११६० इस रियविसिया ( ऐश्वर्य विशिष्टता) प २३२१, ईसिउच्छंग ( ईषदुत्सङ्ग) ज ३२१७८ ईसिणिया (ईशा निका) ज ३|११|१ ईसितुंग ( ईषत्तुङ्ग ) ज ३ । १७८ ईसिदंत ( ईषदान्त ) ज ३ | १७८ ईसिमत्त ( ईषन्मत्त ) ज ३११७८ ५८ इस्सरियविहोणया ( ऐश्वर्यं विहीनता ) प २३।२२, ५८ ईसीप मारा ( ईषत्प्राग्भ / रा ) प २२६४ : १०११,२; २११६०, ३० २६, २८ इह (इह ) ज २।६६ उ १६ ईसीहस्सपंचक्खरुच्चारणद्धा ( ईषद् ह्रस्वपञ्चाक्षरो इह (इह ) प १७५ उ १११७ च्चारणाध्वन् ) प ३६।२ इह (इहगत ) ज ५।२१७ २०, २२ से २५,७६, ईहा ( ईहा ) प १५।५८ । २१५।६७ ज ३१२२३ ईहामद ( ईहामति) उ ११३१ ८२ ईहामिंग ( ईहामृग ) ज २ ३७,१०१४/२७ ई ईतिबहुल ( ईतिबहुल) ज १।१८ इताल ( एकचत्वारिंशत् ) सु १६८११ तालीस ( एकचत्वारिंशत् ) सू १३ १४ ईतालीस ( एकचत्वारिंशत्क ) सू १३११७ ईरियासमिय ( ईर्यासमित) ज २०१६६ Jain Education International ८५१ उ For Private & Personal Use Only उ (तु) प १४ ज ११४७ सू १७ उ १७ उदर ( उदीरण ) प १४।१८ १ उ (ऋतु) ज २२६६३।११७ १, ७ १११, ११२२५, १२६, १२७ उ ५ २५ www.jainelibrary.org
SR No.003576
Book TitleAgam 20 Upang 09 Kalpvatansika Sutra Kappavadinsiyao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages388
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpavatansika
File Size7 MB
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