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________________ ५२२ अणुत्तरविमाण-अणुलित २११५५, ३४।२३,२४ ज २०७१,८५, ३।२२३ अणुत्तरविमाण (अनुत्तरविमान) प २१६२।१; १०१२,३०।२६ अणुत्तरोववाइय (अनुतरोपपातिक) प १११३६, १३८, २।४६.६३ ; ३११८३, ६१४६,६६,६६, २८,११३ ; २०१५.७:२११५५,७१,८३,६३, ९४,३३११८,२६,३४।१६,१८ ज०२।८१ अणुत्तरोववातिय (अनुत्तरोपपातिक) ५२०५६; २११६२ अणुदु (अनृतु) ज ७.११२।३ अणुद्धय (अनुद्धृत) जं ३।१२,२८,४१,४६,५८ ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ ; ५५ अणुपरियट्ट (अनु--परि + वृत) अगुपरिट्टइ ज ७.१५६ से १६७ सू१०१६७ अणुपरियति ज ७१५५ सू १६।२३ अणुपरियट्टति सू १०५ अणुपरियट्टित्ता (अनुपरिवृत्य) सू १०५ अणुपरिट्टित्ताणं (अनुपरिवृत्य) प ३६८१ अणुपरिवाडीय (अनुपरिपाटीक) ज ७१३० अणुपविट्ठ (अनुप्रविष्ट) ज ३३८१ उ १।३३, ३८,१००,१३३ अणुपविस (अनु -प्र+विश्) अणुपविसइ ज ३१६,१७,२०,२१,२८,३१ से ३४,४१,४६,५४,६३,७१,७७,६५,१३७,१३६, १४३,१५६,१६६,१७७,१८२,२०१,२०४, २१८,२२२ सू२।१ अनुपविसंति ज ३१२०५, २०६ अणुपविमति ज ३.१८३,१८४ अणुपविसह उ ३।१०१ अणुपविसमाण (अनुप्रविशत) ज ३११८४,१८५ अणुपविसित्ता (अनुप्रविश्य) ज ३।६ मू २।१ अणुपुत्व (अनुपूर्व) ज २११५, ४१३।२५,३५ सू ६.१ उ ११५७,५८,८२,८३:३१४६ अणुप्पत्त (अनुप्राप्त) उ ३११२७,१२८,५१४३ अणुप्पयाहिणीकरेमाण (अनुप्रदक्षिणीकुर्वत्) ज ३१२०४ से २०६,२०८,५१४१ अणुप्पवाएमाण (अनुप्रवाचयत्) ज ३१२६,३६, ४७,१४३ अणुप्पवाय (अनु-प्र- वाचय) अणुप्पवाएइ ज ३।२६,३६,४७,१३३ अणुबंध (अनुवन्ध) ज २४२ अणुबद्धचारि (अनुवद्ध चारिन् ) सू २०१२ अणुब्भड (अनुभट) ज २११५ अणुभाव (अनुभाव) प २३५१३१,२३।१३ से २३ ज ४१८३ च १५ १६६१५१६२२११६,२० अणभावणामणिहत्ताउय (अनुभावनामनिधत्तायुष्क) प६।११८ अणुभावणामनिहत्ताउय (अनुभावनामनिधत्तायुक) ५६।११६,१२२ अणुभावनिहत्ताउय (अनुभावनिधत्तायुप्क) १६१२३ अणुमण्ण (अनु। मन्) अणुमण्णित्थ; उ ३३१०६ अणुमय (अनुमत) प १११३०३१,२ ज २०१५ उ ३.१२८ अणुमाण (अनुमान) सू ।३ अणुमाणइत्ता (अनुमान्य) उ ३५५ अणुयाय (अनुयात) ज ३१६३,९६,१०६,१६३, १७५,१८० अणुरंगिणी (अनुरङ्गिनी) सू १०१७४ अणुरंजिएल्लिय (अनुरञ्जित) ज ३१११७ अणुरत्त (अनुरक्त) सू २०१७ उ १५१३६ अणुराग (अनुराग) प २१४०।११ उ ११७२,७३, ८७,८८,६२ अणुराधा (अनुराधा) सू १०१२ से ३, १८ अणुराहा (अनुराधा) ज ७.१२८,१२६,१३६।१, १४०,१४६,१५२,१६६, सू १०१२ से ६,१८, २३,५०,६२,७३,७५,८३,११५,१२०,१३१, अणुलिप (अनु ।-लिप) अलिपइ ज २१९९%3B ३॥१२ अणुलिपति ज २१००३।१२,२११, ५१५८ अणुलिपित्ता (अनुलिप्प) ज २NEE अणुलित्त (अनुलिप्त ) प २।३१ ज ३१६,२२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003573
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_chandrapragnapti
File Size12 MB
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