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________________ २७ सुनक्षत्र और ऋषिदास- ये तीन अध्ययन प्राप्त हैं। प्रथम वर्ग में वारिषेण और अभय -- ये दो अध्ययन प्राप्त हैं, अन्य अध्ययन प्राप्त नहीं हैं । विषय-वस्तु प्रस्तुत आगम में अनेक राजकुमारों तथा अन्य व्यक्तियों के वैभवपूर्ण और तपोमय जीवन का सुन्दर वर्णन है। धन्य अनगार के सपोमय जीवन और तप से कुश बने हुए शरीर का जो वर्णन है वह साहित्य और तप दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। पहा वागरणाई नाम-बोध प्रस्तुत आगम द्वादशाङ्गी का दसवां अंग है । समवायांग सूत्र और नंदी में इसका नाम 'पण्हावागरणाई' मिलता है। स्थानांग में इसका नाम 'पन्हा वागरणवसाओ' है' समवायांग में 'पण्हावागरणदसासु-यह पाठ भी उपलब्ध है। इससे जाना जाता है कि समवायांग के अनुसार स्थानांग निदिष्ट नाम भी सम्मत है जयधवला में 'पण्हवावरणं' और तत्त्वार्थदाशिक में प्रश्नव्याकरणम्' नाम मिलता है। विषय-वस्तु प्रस्तुत आगम के विषय-वस्तु के बारे में विभिन्न मत प्राप्त होते हैं स्थानांग में इसके दस अध्ययन बतलाए गए हैं— उपमा, संख्या, ऋषि-भाषित, आचार्य-भाषित महावीर-भाषित, क्षौमक प्रश्न, कोमल प्रश्न, आदर्श प्रश्न, अंगुष्ठ प्रश्न और बाहु प्रश्न । इनमें वर्णित विषय का संकेत अध्ययन के नामों से मिलता है। समवायांग और नंदी के अनुसार प्रस्तुत आगम में नाना प्रकार के प्रश्नों, विद्याओं और दिव्य-संवादों का वर्णन है। नंदी मे इनके पैतालिस अध्ययनों का उल्लेख है। स्थानांग से उसकी १. (क) समवाओ, (ख) नंदी, सूत्र पइण्णग समवाओ ६० । सूत्र ६८ । २. ठाणं १०।११० । ३. (क) कसा पाहुड, भाग १ पृष्ठ १३१ : पण्हवायरणं णाम अंगं । (ख) तत्त्वार्थवार्तिक १।२० : ```प्रश्नव्याकरणम् । ४. ठाणं १०१११६: पावरपदमा दक्ष असा पत्ता जहा उनमा संथा दक्षिभाविवाद, आवरियमानियाई, महावीर भासियाई, खोमगपसिणाई, कोमलप सिणाई, अद्दागपरिणाई, अंगुटुपसिणाई बाहुप सिणाई । ५. (क) समवाओ, पण समवाओ सूत्र ६५: Jain Education International पहायागरणे अद्भुतरं परिगसवं असरं अपसियत अट्टतरं पविणावणियं विन्जाइया सिद्धि दिव्यादायानिति । (ख) नंदी, सूत्र ६० । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003564
Book TitleAgam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Antgaddasao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages168
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_antkrutdasha
File Size3 MB
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