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________________ ११४ जाति-जिणवर जाति (जाति) प ११५०,५१,८१,८१।१२।६४, जालघरग (जालगृहक) ज २०१३ २०६४।२२;११।८ से १०,३६।१४।१ ज २।१०; जाला (ज्वाला) प ११२६ ५५ जाव (यावत्) प १।१३, २१३२ से ४०,४२ से जातिआरिय (जात्यार्य) प ११६२,६४ ४६,४८,५० से ६३;४१५५७।६ से ३०; जातिणाम (जातिनामन्) प २३।८६,१५०,१५१ ८।३,४,६ से ११;६।२२;१०।१६ से २५,२७ जातिणामणिहत्ताउय (जातिनामनिधत्तायुष्क) से ३०,३२ से ४३,४५ से ५३; २०१५२,५६, प६।११८,१२०,१२३ ६०,६३,६४ ज १६ च १० सू १।१ उ १२; जातिनामनिहत्ताउय (जातिनामनिधत्तायुष्क) ११;३।१४।१:५१ प ६।११६,१२३ जावइ (यावी) प ११३७१५ जातिपुड (जातिपुट) ज ४।१०७ जावइय (यावत्) ज २१६:४।१४०१२ जातिविसिट्ठया (जातिविशिष्टता) प २३।२१ जावज्जीव (बावज्जीव) उ ३.५० जातिविहीणया (जातिविहीनता) प २३।२२.५८ जावति (यावी) प ११४३।१ जातीय (जातीय) ज ३।१०६ जातिय (शावत्) प १५१५१,५२ सू ६।३;१३३२ जाधे (यदा) सू १६।२४ जावय (ज्ञापक) ज ५१२१ जाय (जात) ज ११६,२०७१,८५,१२८,१४६; जावेत (यापयत् ) ज ३।१७८ ३८०,६५,६६,१०३ उ ११६६,६३,२१६; जासुमण (जपासुमनस्) प ११३७।१ ज ३।३५ ३।१३,४६,१०५,११३,१४४,१४६४।२१, जासुमणकुसुम (जपासुमनस्कुसुम) प १७.१२६ २७,३४,३८ जासुवण (जपासुमनस्) प ११४०।३ जाय (जन्) जायइ ज ३।६२,११६ जायंति जाहा (जाहक) प १७६ ज ३।६२,११६ जाहि (यत्र) प २४६ इजाय (याच्) जायेइ उ १।१०२ जाहे (यदा) ज ७।५६ सू १६।२७ उ ११५२; जायकोउहल्ल (जातकौतूहल) ज ११६ ३।१०६ जायणी (याचनी) प १११३७।१ जि (जि) जयति चं १११ जायतेय (जाततेजस्) ज २।१२६,१५८ जिण (जिन) प ११६३।६;१।१०१।३,४,१२; जायय (जातक) उ ३।३८ ३६।८३।२ ज १४०; २।६३,७१,७८,८०, जायरूव (जातरूप) ज २१६८,४।२५५;५।५ ५१५,२१,४६, सू १६।२२।१ जायरूवखंड (जातरूपखण्ड) प १११७४ जिण (जि) जिणाहि ज ३।१८५ जायरूबवडे सय (जातरूपावतंसक) १ २०५६ जिणसकधा (जिन सकधा') सू १८।२३ जायसंख्य (जातसंशय) ज ११६ जिणसकहा (जिन 'सकहा') ज २।१२०;४।१३४; जायसड्ढ (जातश्रद्ध) ज ११६ उ ११४,५२२ ७।१८५ जार (जार) ज ५।३२ जिणघर (जिनगृह) ज ४।१३६ जारु (चारु) प ११४८।२ जिणपडिमा (जिनप्रतिमा) ज ११४०,४।४७,१२६, जाल (जाल) प ११।१५ ज ३।६,१७,२१,३४,३५, १३६,१४७,२१६ १७७,१२२,१७८,५।२८ जिणभत्ति (जिनभक्ति) ज २१११३ जालंतर (जालान्तर) प २०४८ जिणवर (जिनवर) प ११११२ चं ११४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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