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________________ ८८२ कुबेर-कुसील कुबेर (कुबेर) ज ३।१८६,२१७ ३।४८,५०,५५,१००,१३३; ५५ कुभोइ (कुभोजिन् ) ज २११३३ कुल कोडि (कुलकोटि) प ११४६ से ५१,६०,६६, कुमार (कुमार) उ १३१३ से १५,२१,२२,२५ से ७५,७६,८१,८१।१ २७,३१,४२ से ४६,४८,६४ से ६६,६४ से कुलक्ख (कुलाक्ष) प ११८६ ६६,१०२ से ११७,११६ से १२२,१२५, कुलक्खय (कुलक्षय) ज २०४३ १२७,१२८,१४०,१४१,१४६,१४७,२१६,७, कुलगर (कुलकर) ज २१५६ से ६३ ६,१८,१६, ३।११४,१२०,५।१०,२०,२२, कुलत्थ (कुलत्थ) प ११४५।१ ज २।३७, ३.११६ २३,२७,३१,३२,३४ से ३८ उ ३।४१,४२ कुमार (कुमार) उ १८६ कुलत्था (कुलस्था) उ ३।४२ कुमारग्गह (कुमारग्रह) ज २।४३ कुलदेव (कुलदेव) ज ३।११३ कुमारावास (कुमारावास) ज २१६४,८७, ३।२२५ कुलदेवया (कुलदेवता) ज ३।१११,११३ कुमारिया (कुमारिका) उ ३।११४,१३० कुलधुया (कुलदुहित) उ ३।४२ कुमुद (कुमुद) प ११४६ ज ३।११७,४।१५४, कुलमाउया (कुलमातृका) ज ३।४२ १५५,२१२,२२५२१,२३० कुलरोग (कुल रोग) ज २।४३ कुमुददल (कुमुददल) प १८४१२८ कुलवधुया (कुलवधु) उ ३।४२ कुमुदप्पभा (कुमुदप्रभा) ज ४।२२१।१ कुलविसिट्ठिया (कुलविशिष्टता) प २३।२१ कुमुदप्पहा (कुमुदप्रभा) ज ४।१५५।१ कुलविहीणया (कुलविहीनता) प २३।२२ कुमुदा (कुमुद) ज ४।१५५।१,२२१ कुमुय (कुमुद) ज २११५; ४।३,२५,२१२।१ कुलारिय (कुलार्य) प ११६५ कुमुयहत्थगय (हस्तगतकुमुद) ज ३।१० कुलोवकुल (कुलोपकुल) ज ७।१३६,१४१ से कुम्म (कूम) ज २।१४,१५,६८,३।३; ७।१७८ १४६,१५० से १५३ सू १०१६,२० से २२,२५ कुम्मुण्णया (कूर्मोन्नता) प ६।२६ कुवधा (दे०) प ११४०।२ कुरंग (कुरङ्ग) प ११६४ ज २।३५ कुवलय (कुवलय) चं ११ कुविंदवल्ली (कुविन्दवल्ली) प ११४०१३ कुरज्ज (कुराज्य) ज ३।२२१ कुरय (कुरब) प ११४७ लालफूलवाली कटसरैया। कुविय (कुपित) ज ३।२६,३६,४७,१०७,१०६, कुरल (कुरल) प १७६ १३३ उ १।२२,१४० कुरा (कुरु) ज ४।१०८,१४१,१४३,२०५,२०७ कुवुट्ठिबहुल (कुवष्टिबहुल) ज १११८ कुव्वमाण (कुर्वत्) प २।३३,५०,५१,५६ कुरु (कुरु) प १।६३।२; १५॥५५॥३ कुव्वर (कूबर) ज ३।३५ कुरुविंद (कुरुविन्द) प ११४२।२ कुस (कुश) प ११४२१ ज २।८.६ उ ३।५१,५६ कुरूव (कुरूप) ज २।१३३ कुसंघयण (कुसंहनन) ज २११३३ कुल (कुल) ज ३।३,६,१७,२१,२४,३४,१०६, कुसंठिय (कुसंस्थित) ज २११३३ १७७, ४।२१२,५१५,४६,५५, ७.१२७११, कुसट्ट (कुशावर्त) प ११६३।२ १३६।१,१४१ से १४६,१५० से १५३, कुसल (कुशल) ज २०१५; ३।३२,७७,८७,१०६, १६७।१ च ५।१ सू १।६।११०१६,२०,२१, ११६,१३८,१७८,५।५ सू २०१७ २२,२५,२०१६।४उ ११५४,७६,१४१, कुसील (कुशील) उ ३।१२० २०८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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