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________________ ८७० कंतस्तरता (कान्तस्वरता ) प २३।१६ कंति (कान्ति) ज २२६५३१६६,२०४ कंद (कन्द) प ११३५,३६,४८०,११,२१,३१,३५, ६१,१११०१,१२८ ज ४।७ उ ३१५०,५१,५३ कंद (कन्द) प २०४१ कंदयि (कान्दर्पिक) प २०१६१ ज २१७८ कंदमाण (अम्वत् ) उ १४६२३३११३० कंदमूल (कन्दमूल ) प ११४८८,६१ कंदर (कन्दर ) ज २।६५; ३।३५ कंदल ( कन्दल ) ज ३।३५ कंदलग (कन्दलक ) प १।६३ कंदल (कन्दली) प १०३७।२.१०४३।१ कंदली (कंद) ( कन्दलीकन्द ) प ११४८।४३ कंदलीथंभ (कन्दली स्तम्भ ) प १९७५ कंदाहार (कन्दाहार) ३३५० कंवित (कन्दित) प २०४१ कंदिय ( क्रन्दित) प २०४७।१ कंडु (कन्दु) उ ३१५० कंयुक्क (कंदुक) व ११४८५० कंपण ( कम्पन ) ज ३।३५ कंपिल्ल ( काम्पिल्य) प ११६३।२ कंबल (कम्बल) प १५।१।२,१५।५१ कंडु (कम्बु) प १२४८१३ कंस (कांस्य) प ११।२५ २ २४,६६ सू २०1८ कंसणाभ (कंसनाभ) सू २०१८ ; २०1८1३ कंसताल (कांस्यताल ) ज ३।२१ कंसवण्णाभ ( कांस्यवर्णाभ) सू २०१८ कंसोय ( कंसीय ) प ११।२५ ककुह (ककुद) ज ७१७८ कक्कस ( कर्कश ) उ ३६८ कक्केयण ( कर्केतन) ज ३।३५, १०६ कक्कोडद (कर्कोटकी ) प ११४०१२ कक्ख ( कक्ष ) ज० २।१५ उ० ३।६८ कक्तर (कक्षान्तर) उ४२१ कक्खड (कक्खट ) प १।४ से ६; २।२० से २७ ; २११६२५१५, ७,२०६ से २०१३।२९ Jain Education International कंतस्सरता- कट्टु १५।१४,१६, २७, २८, ३२, ३३, २३१५०,२८१६, १०,२०,३२,५५,५६,६६ कच्चायण ( कात्यायन ) ज ७११३२|४ सू १०।११७ कच्छ ( कक्ष) ज ४।२४८ कच्छ (कच्छ) ज ३१८१,४१६२१,१६७, १७२११, १७७, १७८, १८१,१०४, १८७,१६०,२०० ७१७८ कूड (कच्छकूट) ४।१६३,१६४,१०० कच्छगाव ( कच्छकावती) ज ४।१८५ से १८६ कच्छगावइकूट (कीट) ४१८७ कच्छगावती ( कच्छकावती) ज ४।१८७ कच्छभ ( कच्छप ) प ११५५, ५७ ज २११३४; ४१३,२५ सू २०१२ कच्छभी ( कच्छभी) ज ३।३१ कच्छविजय ( कच्छविजय ) ज ४ । १९३, १६६,१६६ कच्छा (कक्षा) वराही नामक पौधा, भींगुर १०४६१।४८।६२ कच्छु (कच्छू ज २१३३ कच्छुल ( कच्छुरा ) प १०३८।२ कच्छुरी (कच्छु ) प १२७१ कज्ज (कृ) कञ्ज प २२१०,१५,१६,१०,४८, ५०,५२,६७ से ६६,७२,८२, ६१ से ३,६८, १६७१५२,५३ कति ११७११.२२. २१,२५,२२।५१,७१,७३,७४ कच्चति १७२५२२६,११ से १४,१७,१९,४८ से ५०,५२ से ४६,६१ से ६५,६७ से ६६,७१ से ७४,७६७२,८१,९१,६४,६७ से २९ कज्ज (कार्य) सू १०।१२० २।११,५१,५६ फज्जल (कमल) १७।१२३ कज्जलमा (४१५५२ २२३॥१ कज्जोवय ( कार्योपग) ज ७।१८६/२ सू २०1८; २०१८/२ कट्टु (कृत्वा) प ११७० २६४११२० २११।१७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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