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________________ उत्तरो?-उद्धृय ८५७ उत्तरोट्ठ (उत्तरौष्ठ) ज २।१५ उत्ताण (उत्तान) उ ३।१३० उत्ताणग (उत्तानक) ज ३।१११,११३ उ ११४६ उत्ताणय (उत्तानक) पश६४ उ १।४६ उत्ताणसेज्ज (उत्तानशय) उ ३।१३०,१३१,१३४ उत्तासणग (उत्त्रासनक) प २।२० से २६ उत्तासणय (उत्तासनक) प २।२७ उत्तिण्ण (उत्तीर्ण) ज ३१८१ उत्तिमंग (उत्तमाङ्ग) ज २०१५ उदग (उदक) जे २।१३१,३।२६,३६,४७,१०६, १३३,२२१,५१५५ उदगधारा (उदकधारा) ज ३।८८ उदय (उदय) प २३।३,१३ से २३ सू १।६।२; ११८१ उदय (उदक) प ११४१।२,११४६;१०१७ १६।५४ ज ३१६,२०६५।१४,५६,७।११२।१, २ च २।२,४११,३ सू १०।१२६।१,२ उदयसंठिति (उदयसंस्थिति) सू १।६।२१।८।१,३ उदर (उदर) उ ११४३ उदहि (उदधि) प २।३०।१२।४०।२,८,१०; १५।१।२ ज २।१५,५१५२ उदहिकुमार (उदधिकुमार) प १११३१,५।३।६।१८ उदार (उदार) ज ३।२४,१३१ उदाहु (उताहो) प १०१६:१५।४६,४७,३४१६ उ१११२७ उदिण्ण (उदीर्ण) प २०॥३६,२३।३,१३ से २३ उदीण (उदीचीन) प २१०,५० से ५२,५४,५६, ५८ से ६० ज ११८,२०,२३,२५,२८,३२, ४८,३।१४।१,३,५५६२,८६,८८,६८, १०८,१७२,२०५,२१४,२५२,२६२,२६८; ७।१०१,१०२ सू ८.१ उदीणदाहिणायता (उदीच्यदक्षिणायता) सू ११६; २११;१०।१४२,१४७,१२।३० उदीणवाय (उदीचीनवात) प १२६ /उदोर (उद्। ईर् ) उदीरंति प १४।१८ उदीरिस्संति प १४।१८ उदीरेंति उ ३।३४ उदीरेंसु प १४।१८ उदीरेति प २२१५ उदीरण (उदीरण) ज २।१३१ उदीरिज्जमाण (उदीर्यमाण) प २३।१३ से २३ उदीरिय (उदीरित) प २३।१३ से २३ उदु (ऋतु) ज २।४;७११२।१ उदंडग (उद्दण्डक) उ ३१५० उइंडिय (उद्दण्डिक) ज ३।३२ उद्दव (उद्द+द्र) उद्दति प ३६।६२,७७ उद्दवित्तए (उद्भवयितुं) ज ३।११५ उद्दाइत्ता (उद्रुत्य) ज ६।४ उद्दाल (उद्दाल) ज २८ उद्दाल (अवदाल) ज ४।१३ सू २०१७ उद्दाल' (आ।-छिद्) उद्दालेइ उ १।१०५ उद्दालेउकाम (आछेत्तुकाम) उ १।१०५ उद्दिट्ठ (दे०) सू १६।२२।२५ उद्दिस (उत्+दिश् ) उदिसंति उ ५१४५ उद्दिस्यि (उद्दिश्य) प १६.५१ उद्दिस्सपविभत्तगति (उद्दिश्यप्रविभक्तगति) प १६१३८,५१ उद्देस (उद्देश) ज ७।१०१,१०२ उद्देसग (उद्देशक) उ ५।४५ उद्देसय (उद्देशक) प १७।१४८ उद्देहिया (दे०) प ११५० उद्ध (ऊर्ध्व) प ३३।२४ ज १११६,२३,२४,२।६, ५८,६५,१५७ Vउद्धंस (उत्। धृष ) उद्धंसेइ उ ११५७ उद्धंसणा (उद्धर्षणा) उ१।५७,८२ उद्धंसेत्ता (उदय) उ ११५७ उद्धत (उद्धत) ज २०६५ उद्धिय (उद्धृत) ज ३।२२१ उद्धृत (उद्धत) प २।४८ उद्धृय (उद्धृत) प २।३०,३१,४१ ज २१६०;३।७; २४।३,२६,३७।१,३६,४५।१,४७,५६,६४, ७२,८८,११३,१३११३,१३८,१४५,१७८; १. हेम० ४।१२५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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